महिलाएं अक्सर पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण नींद से समझौता करती हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि महिलाओं की कम नींद के पीछे बायोलॉजिकल कारण भी अहम भूमिका निभाते हैं.
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महिलाएं अक्सर अपनी देखभाल और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण नींद से समझौता करती हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि महिलाओं की कम नींद के पीछे बायोलॉजिकल कारण भी अहम भूमिका निभाते हैं. यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम सोती हैं और उनकी नींद बार-बार टूटती है.
अध्ययन के अनुसार, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम आरामदायक नींद मिलती है. कोलोराडो यूनिवर्टिसी की सहायक प्रोफेसर रेचल रोवे के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं के नींद के पैटर्न में अंतर का कारण अक्सर लाइफस्टाइल और सामाजिक भूमिकाओं को माना जाता है. लेकिन हमारे शोध में पाया गया कि इन अंतर के पीछे बायोलॉजिकल कारण ज्यादा अहम हो सकते हैं.
चूहों पर किया गया अध्ययन
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 267 चूहों की नींद का विश्लेषण किया. शोध में पाया गया कि नर चूहे प्रति दिन औसतन 670 मिनट सोते हैं, जो मादा चूहों से लगभग एक घंटे अधिक है. यह एक्स्ट्रा समय मुख्य रूप से नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (NREM) नींद का होता है, जो शरीर की मरम्मत और एनर्जी पुनःस्थापित करने का समय होता है. वहीं, मादा चूहों की नींद बार-बार टूटती है, जिससे उनकी नींद ज्यादा टूटती होती है.
अन्य प्रजातियों में भी दिखा अंतर
यह अंतर सिर्फ चूहों में ही नहीं, बल्कि अन्य जानवरों जैसे फल मक्खियों, चूहों, मछलियों और पक्षियों में भी देखा गया. वैज्ञानिकों का मानना है कि बायोलॉजिकल रूप से महिलाएं अपने परिवेश के प्रति अधिक सेंसिटिव होती हैं, क्योंकि पारंपरिक रूप से वे संतान की देखभाल करती हैं. इसके अलावा, कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन और सेक्स हार्मोन भी इस अंतर में भूमिका निभा सकते हैं.
आगे की दिशा
शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद से जुड़ी समस्याओं के बेहतर इलाज के लिए महिलाओं और पुरुषों के बीच इन बायोलॉजिकल अंतर को समझना जरूरी है. इस अध्ययन से भविष्य में नई चिकित्सा विधियों को विकसित करने में मदद मिल सकती है.