जंग भड़काने वालों पर प्रहार, विस्तारवादी सोच पर तंज...गुयाना की धरती से PM मोदी ने सिखाया इंसानियत की पाठ
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जंग भड़काने वालों पर प्रहार, विस्तारवादी सोच पर तंज...गुयाना की धरती से PM मोदी ने सिखाया इंसानियत की पाठ

Pm Modi in Guyana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुयाना की संसद में संबोधन के दौरान एक नया नारा दिया. सर्वोच्च सम्मान मिलने के बाद पीएम मोदी ने गुयाना का शुक्रिया अदा किया और बताया कि वो 24 साल पहले भी एक जिज्ञासू के तौर पर इस देश में आ चुके हैं. अपने भाषण में पीएम मोदी ने जंग भड़काने और विस्तारवाद की नीति अपने वाले देशों को भी बड़ा संदेश दिया है. 

जंग भड़काने वालों पर प्रहार, विस्तारवादी सोच पर तंज...गुयाना की धरती से PM मोदी ने सिखाया इंसानियत की पाठ

Pm Modi in Guyana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों गुयाना में हैं और गुरुवार को उन्होंने गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया. संबोधन में पीएम मोदी ने कहा,भारत ''डेमोक्रेसी फर्स्ट, ह्यूमैनिटी फर्स्ट' की भावना के साथ भारत विश्व बंधु के रूप में अपना कर्तव्य निभा रहा है. हमने दिखा दिया है कि लोकतंत्र हमारे डीएनए, दृष्टिकोण और कार्यों में है. हम कभी भी स्वार्थ, विस्तारवादी नजरिये से आगे नहीं बढ़े और न ही संसाधनों पर कब्जा करने की भावना रखी है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत का कहना है कि हर राष्ट्र मायने रखता है. पीएम मोदी ने इस दौरान सर्वोच्च सम्मान के लिए गुयाना के लोगों का आभार भी जताया.

'लोकतंत्र हमारे DNA में है'

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,'आज दुनिया के सामने जिस तरह के हालात हैं , उसमें आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है 'डेमोक्रेसी फर्स्ट, ह्यूमैनिटी फर्स्ट'. 'डेमोक्रेसी फर्स्ट' का विचार हमें सबको साथ लेकर चलना और सबके विकास के साथ आगे बढ़ना सिखाता है. 'ह्यूमैनिटी फर्स्ट' का विचार हमारे फैसलों की दिशा तय करता है. जब 'ह्यूमैनिटी फर्स्ट' के विचार के आधार पर फैसले लिए जाते हैं तो नतीजे इंसानियत के फायदे में होते हैं.' पीएम मोदी ने आगे कहा,'समावेशी समाज बनाने के लिए लोकतंत्र से बड़ा कोई दूसरा माध्यम नहीं है. दोनों देशों ने मिलकर दिखा दिया है कि लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखा दिया है कि लोकतंत्र हमारे DNA में है, नजरिये में है, आचार और व्यवहार में है.'

'हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं'

पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है. दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारी ईमानदार कोशिश होती है कि हम अपनी जिम्मेदारी मानकर वहां पहुंचे. उन्होंने कहा,'दुनिया के लिए यह समय टकराव का नहीं, टकराव पैदा करने वाले हालात को पहचान कर उनको दूर करने का है. हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े. हम संसाधन पर कब्जे की और उसे हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं. आज भारत हर तरह से वैश्विक विकास और शांति के पक्ष में खड़ा है. इसी भावना के साथ आज भारत 'ग्लोबल साउथ' की भी आवाज बना है.'

'चुनौतियां बिल्कुल अलग हैं...'

पीएम मोदी ने कहा कि जब ​​भारत और गुयाना को आजादी मिली तो दुनिया को अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ा. आज 21वीं सदी की चुनौतियां बिल्कुल अलग हैं. उन्होंने कहा,'दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनाई प्रणालियां और संगठन चरमरा रहे हैं. आज हम आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर क्राइम समेत कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए हमें इन मुद्दों का डटकर सामना करना होगा. इसे केवल 'डेमोक्रेसी फर्स्ट, ह्यूमैनिटी फर्स्ट' को प्राथमिकता देकर ही हासिल किया जा सकता है.' पीएम मोदी रूस-यूक्रेन में जारी जंग के बीच बड़ा पैगाम देते हुए कहा,'अब समय आ गया है कि संघर्ष में शामिल होने के बजाय उन लोगों की पहचान की जाए जो संघर्ष पैदा करते हैं.'

'मैं 24 साल पहले भी गुयाना आया था...'

पीएम मोदी ने कहा,'कल ही गुयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया. इस सम्मान के लिए मैं गुयाना के हर नागरिक को दिल से धन्यवाद देता हूं. मैं यह सम्मान भारत के हर नागरिक को समर्पित करता हूं. भारत और गुयाना के बीच रिश्ता बहुत गहरा है. यह मिट्टी, पसीने और मेहनत का रिश्ता है. पीएम मोदी ने बताया कि प्रधानमंत्री बनने से पहले आज से 24 साल पहले भी 'एक जिज्ञासु के रूप में' वह इस खूबसूरत देश की यात्रा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि वह गुयाना की विरासत के बारे में जानना चाहते थे, इसके इतिहास को समझना चाहते थे. उन्होंने कहा कि गुयाना में आज भी ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें मेरे साथ हुई मुलाकातें याद हैं. उस समय की मेरी यात्रा कई यादों से भरी हुई है.'

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