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Dancing Plague: 506 साल पहले की वो खतरनाक महामारी, नाचते-नाचते सड़क पर मर गए थे 400 लोग

What is Dancing Plague: इतिहास में कई ऐसी घटनाएं ऐसी घटी हैं जिन्हें याद करके आज भी लोग हैरान रह जाते हैं. आज हम 500 साल से भी ज्यादा पुरानी एक ऐसी ही घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जब आज पढ़ते हैं तो लोग सन्न रह जाते हैं. इस घटना का नाम है डांसिग प्लेग (Dancing Plague). यह एक तरह की महामारी थी, जिसमें लोग नाचते-नाचते ही दुनिया को छोड़कर चले जाते थे, यानी मर जाते थे.

 

नाचते-नाचते चली जाती थी जान

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नाचते-नाचते चली जाती थी जान

1518 का डांसिग प्लेग एक अजीब और रहस्यमयी घटना थी, जो आज से 506 साल पहले वर्तमान फ्रांस के स्ट्रासबर्ग (तत्कालीन जर्मनी का हिस्सा) में घटी थी. यह घटना ऐतिहासिक रूप से बहुत चौंकाने वाली रही है क्योंकि इसमें सैकड़ों लोग अचानक बिना किसी वजह के नाचते-नाचते मर जाते थे. कुछ लोग तो महीनों-महीनों तक नाचते ही रहते थे. कहा जाता है कि यह डांस इतना अजीब और अनियंत्रित था कि कुछ लोग थक कर मर भी गए थे.

 

दिन रात डांस करते थे लोग

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दिन रात डांस करते थे लोग

एक जानकारी के मुताबिक 1518 के जुलाई महीने में एक महिला जिसका नाम एफ्रेडी था, स्ट्रासबर्ग के एक छोटे से शहर में अचानक पब्लिक प्लेस पर डांस करने लगी. पहले तो इस पर किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन फिर कुछ ही दिनों में और भी लोग इसी तरह की हरकत करने लगे और फिर ये सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता गया. कुछ हफ्तों में सैकड़ों लोग इसी तरह का रहस्यमयी डांस करने लगे. ये लोग दिन-रात डांस करते रहते थे और थकने के बाद भी नहीं रुकते थे.

 

डॉक्टरों के उड़े होश

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डॉक्टरों के उड़े होश

इनमें से कुछ तो इतना थक जाते कि उनकी नाचते-नाचते ही मौत हो गई, कुछ को चोटें आईं और कई लोग मानसिक बीमारी से जूझने लगे थे. डांस का यह दौरा इतना अजीब था कि कई लोग पूरी तरह से इससे प्रभावित हो गए, जैसे वे किसी मानसिक बीमारी या आध्यात्मिक प्रभाव के तहत डांस कर रहे हों. इन घटनाओं को देखकर स्थानीय अधिकारियों और चिकित्सकों के होश उड़ गए.

 

क्या यह संक्रामक बीमारी थी?

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क्या यह संक्रामक बीमारी थी?

अधिकारी और डॉक्टर्स इस स्थिति को समझने के लिए कई कारणों की खोज करने लगे. शुरुआत में यह माना गया कि यह एक तरह की संक्रामक बीमारी हो सकती है, या फिर शायद यह किसी धार्मिक या आध्यात्मिक प्रभाव का नतीजा हो सकती है. कुछ डाक्टरों का मानना था कि यह 'हिस्टेरिया' का मामला हो सकता है, जिसमें एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति ग्रुप के अन्य लोगं पर भी प्रभाव डाल देती है. 

 

कारणों की खोज

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कारणों की खोज

इस अजीब घटना के कई कारणों को लेकर तात्कालिक चिकित्सकों और इतिहासकारों ने अटकलबाजियां कीं. एक सबसे प्रसिद्ध सिद्धांत था कि यह 'लाइसरगीक एसिड' नामक पदार्थ की वजह से हुआ. लाइसरगीक एसिड एक प्रकार का फंगस होता है जो राई की फसल में पैदा होता है और यह इंसान के शरीर में जाने से किसी और भ्रम में रहने लगते हैं, दौरे और अन्य तरह के मानसिक विकार पैदा कर सकता है. इसके मुताबिक यह फंगस इन लोगों के खाने में शामिल राई के आटे के ज़रिए शामिल हुआ था जो उनके शरीर को प्रभावित कर रहा था.

 

क्या ये सामूहिक हिस्टोरिया था?

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क्या ये सामूहिक हिस्टोरिया था?

हालांकि, इस सिद्धांत को आज भी विवादित माना जाता है और कई अन्य रिसर्चर्स का मानना है कि यह किसी प्रकार का मेंटल डिसऑर्डर हो सकता है, जिसे 'सामूहिक हिस्टेरिया' कहा जाता है. इस सिद्धांत के मुताबिक जब एक व्यक्ति इस प्रकार के अजीब व्यवहार का सामना करता है, तो वह दूसरों को भी प्रभावित करता है और बाकी लोग मानसिक रूप से प्रभावित हो जाते हैं.

 

आज तक नहीं मिली ठोस वजह

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आज तक नहीं मिली ठोस वजह

कुछ समय बाद, शहर के अधिकारियों ने इस समस्या का हल ढूंढने के लिए एक बड़ा कदम उठाया. उन्होंने सभी मरीजों को एक जगह पर इकट्ठा किया और उन्हें और ज्यादा डांस करने के लिए प्रेरित किया, ताकि यह स्थिति समाप्त हो सके. यह तरीका असफल साबित हुआ और आखिर में स्थानीय चर्च और धार्मिक नेताओं ने इस समस्या का समाधान धार्मिक अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं के ज़रिए ढूंढने की कोशिश की. धीरे-धीरे यह डांस प्लेग समाप्त हो गया लेकिन इसके पीछे के कारण आज भी स्पष्ट नहीं हैं

 

डांसिंग प्लेग से कितने लोग मरे?

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डांसिंग प्लेग से कितने लोग मरे?

हालांकि इस बीमारी से कितने लोगों की जान गई इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन कहा जाता है कि इस बीमारी से प्रभावित होने वाले तकरीबन 400 लोग थे. अलग-अलग रिपोर्ट्स में मरने वालों की तादाद अलग-अलग ही बताई गई है. जबकि कुछ ने दावा किया है कि मरने वालों की तादाद कंफर्म नहीं है. 

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