टिक..टिक..टिक, कम है वक्त, अभी बदल लें आदत, वरना भारतीयों को खा जाएगी डायबिटीज!
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टिक..टिक..टिक, कम है वक्त, अभी बदल लें आदत, वरना भारतीयों को खा जाएगी डायबिटीज!

भारत में डायबिटीज एक बड़ा खतरा बन चुका है, वक्त अब काफी कम बचा है, हमें अपनी रोजाना की आदतों में सुधार लाना होगा, नहीं तो मधुमेह बड़ी आबादी को घेर सकता है. 

टिक..टिक..टिक, कम है वक्त, अभी बदल लें आदत, वरना भारतीयों को खा जाएगी डायबिटीज!

The Diabetes Capital of the World: भारत ग्लोबल डायबिटीज पॉपुलेशन का 17% हिस्सा है, जिसमें तकरीबन 8 करोड़ लोग प्रभावित हैं, और ये तादाद 2045 तक बढ़कर 13.5 करोड़ होने का अनुमान है. "डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" कहे जाने वाले इंडिया को एक अहम हेल्थ चैलेंज का सामना करना पड़ रहा है. मधुमेह एक क्रोनिक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसे मुख्य रूप से टाइप 1 और टाइप 2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

खतरनाक क्यों है डायबिटीज
चिंताजनक रूप से टाइप 2 डायबिटीज के एक तिहाई मरीज इस बीमारी के अक्सर लक्षणहीन होने के कारण डायग्नोज नहीं हो पाते हैं. टेस्ट न किए गए मामलों में गंभीर कॉम्पलिकेशंस का खतरा होता है, जैसे कि क्रोनिक हाइपरग्लाइसेमिया, जो आंखों, गुर्दे, नसों, दिल और ब्लड वेसेल्स जैसे अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और पेरिफेरल वेस्कुलर डिजीज जैसे कंडीशंस, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियां आम हैं.

अर्ली डिटेक्शन क्यों है जरूरी?

कॉम्पलिकेशंस के सही मैनेजमेंट और प्रिवेंशन के लिए डायबिटीज का जल्द डायग्नोसिस जरूरी है. यूपी सरकार में कार्यरत डॉ. उदय प्रताप सिंह (Dr. Uday Pratap Singh) अनियंत्रित मधुमेह के खतरों पर प्रकाश डालत हैं, जो हार्ट डिजीज, नर्व डैमेज, किडनी फेलियर और अंधापन का कारण बन सकता है. इसके अलावा, फैटी लिवर डिजीज जैसे मेटाबॉलिक कंडीशंस, जो सिरोसिस और लिवर फेलियर का एक बड़ा कारण है, डायबिटीज से जुड़े हैं.

वक्त पर पता लगाने से ब्लड शुगर कंट्रोल जैसे मैनेजमेंट में मदद मिलती है, जिससे माइक्रोवेस्कुलर और कार्डियोवेस्कुलर कॉम्पलिकेशंस के रिस्क काफी कम हो जाते हैं. जल्द एक्शन लेने से लाइफस्टाइल में बदलाव - संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और वेट मैनेजमेंट - ब्लड शुगर लेव को स्थिर करने में मदद मिलती है, जिससे मेडिकेशन से बचा जा सकता है.

अभी सुधार लें आदतें
भारत में डायबिटीज एक बड़ा हेल्थ बर्डेन है. हालांकि, जल्द पता लगाने और प्रोएक्टिव उपायों, जिसमें लाइफस्टाइल में चेंजेज और वक्त पर इलाज शामिल हैं, इससे बीमारी के असर को कम किया जा सकता है. लाइफ की क्वालिटी में सुधार और बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए अवेयरनेस और मैनेजमेंट को तरजीह देना जरूरी है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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