Old Age People Health: वैसे तो बदलता मौसम हर किसी के लिए हेल्थ रिस्क लाता है, लेकिन बजुर्गों को थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती. ऐसे में हमें उनकी सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है.
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Impact of changing weather patterns on elderly health: जलवायु परिवर्तन के चलते वैदर पैटर्न में बदलाव की वजह से बुजुर्गों की सेहत काफी ज्यादा प्रभावित होती है. मौसम में भारी बदलावों, जैसे हीट वेव, कोल्ड स्नैप्स और बाढ़ या सूखा आदि का असर उनके स्वास्थ्य पर अधिक पड़ता है. इसके अलावा, एयर पॉल्यूशन का एफेक्ट भी ओल्ड एज के लोगों पर काफी बुरा होता है, जो बदलते मौसम के कारण और भी बुरा हो सकता है. इसके लिए हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट, ओखला, नई दिल्ली के कंसल्टेंट (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. अंकुर गुप्ता (Dr. Ankur Gupta) से बात की.
मौसम में बदलाव का बुजुर्गों की सेहत पर असर
1. गर्मी के कारण होने वाले रोग
हीट वेव्स यानि हद से ज्यादा गर्मी के कारण बुजुर्गों की सेहत को गंभीर खतरा पैदा हो जाता है. इसकी वजह से हीट स्ट्रोक्स हो जाते हैं जो लाइफ के लिए रिस्क पैदा सकते हैं. अधिक उम्र के लोगों को हीटस्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर टैम्प्रेचर को ठीक ढंग से रैग्युलेट नहीं कर पाता. इसके अलावा, वे कुछ क्रोनिक कंडीशंस के भी शिकार हो सकते हैं, जैसे कि उन्हें डायबिटीज, हार्ट डिजीज वगैरह हो सकते हैं, जिसकी वजह से गर्मी का मौसम उनके लिए खतरे से भरा होता है.
2. ठंड की वजह से होने वाली बीमारियां
वृद्धों और अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए कोल्ड स्नैप्स भी खतरनाक होते हैं। हाइपोथर्मिया ऐसी ही एक जीवनघातक स्थिति होती है जिसमें शरीर का तापमान 95°F से नीचे गिर जाता है। अधिक उम्रदराज बुजुर्गों को हाइपोथर्मिया की आशंका ज्यादा रहती है क्योंकि उनका शरीर कम ताप पैदा करता है। साथ ही, उनके शरीर में खून का दौरा भी मंद होता है, जिसकी वजह से उनके शरीर के लिए गर्मी पैदा करना मुश्किल होता है।
3. एयर पॉल्यूशन
वैसे तो एयर पॉल्यूशन हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक है, लेकिन खासतौर से बुजुर्गों को इसकी वजह से ज्यादा तकलीफ होती है. बेहद मुमकिन है कि वो पहले से ही कुछ क्रोनिक कंडीशंस के शिकार हों, जैसे कि अस्थमा और सीओपीडी, जिसके कारण वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य के लिए ज्यादा गंभीर खतरा बन जाता है. एयर पॉल्यूशन की वजह से अस्थमा के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं और इनके कारण सीओपीडी अटैक बढ़ जाते हैं. साथ ही, ये दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ाता है. साथ ही स्ट्रोक और लंग कैंसर के खतरे भी खड़े हो जाते हैं. घर से बाहर तभी निकलें जबकि ऐसा करना बहुत जरूरी हो, हमेशा एन-95 मास्क लगाकर रखें ताकि वायु प्रदूषण का असर कम किया जा सके.
बुजुर्गों को बदलते वैदर पैटर्न के असर से कैसे बचाएं
बुजुर्गों को मौसम में बदलाव के असर से सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे-
1. हीट वेव: शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें, दिन के सबसे गर्म समय में ज्यादा मेहनत वाली फिजिकल एक्टिविटी नहीं करें, जितना मुमकिन हो सके एयर कंडीशंड वातावरण में रहें.
2. कोल्ड स्नैप्सः खुद को कई लेयर्स कपड़ों से ढकें ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे, टोपी/हैट और स्कार्फ पहनकर रखें, जितना मुमकिन हो घर से बाहर जाने से बचें.
3. एयर पॉल्यूशन: जब भी एयर क्वालिटी अधिक खराब हो तो ज्यादा से ज्यादा समय इंडोर रहें और घरों के अंदर एयर प्यूरिफायर र इस्तेमाल करें.
हीटस्ट्रोक, हाइपोथर्मिया और गर्मी/सर्दी के अन्य रोगों से अपना बचाव करें. अगर आपको किसी बुजुर्ग में कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. इन उपायों को अपनाकर आप बुजुर्गों को मौसम की मार सहने से बचा सकते हैं और उन्हें चेंजिंग वेदर कंडीशन से सुरक्षित तथा हैल्दी भी रख सकते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.