Explained: तो क्या सच में एकनाथ शिंदे का युग खत्म? फडणवीस सरकार में कैसे घट गया पूर्व CM का कद?
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Explained: तो क्या सच में एकनाथ शिंदे का युग खत्म? फडणवीस सरकार में कैसे घट गया पूर्व CM का कद?

Eknath Shinde: ये वही एकनाथ शिंदे हैं जिन्होंने अकेले दम पर 2022 महाराष्ट्र की राजनीति का पासा पलट दिया था. पहले उद्धव आर्मी को पस्त किया फिर बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं सरकार में भी रहते हुए उनकी कार्यशैली, उनकी योजनाओं की भी चर्चा रही.

Explained: तो क्या सच में एकनाथ शिंदे का युग खत्म? फडणवीस सरकार में कैसे घट गया पूर्व CM का कद?

Fadnavis Government: भारत की राजनीति गजब की चीज है और उसमें भी महाराष्ट्र की राजनीति के तो क्या ही कहने.. पिछले दिनों जब महाराष्ट्र चुनाव का परिणाम आया, तो शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने अपने ही अंदाज में कह दिया था कि एकनाथ शिंदे का युग खत्म हो गया है. ये तो संजय राउत की भड़ास भी थी और एक हद तक बात सही भी थी क्योंकि बीजेपी के नंबर्स अप्रत्याशित रूप से अच्छे थे. उम्मीद थी कि शिंदे अब सीएम नहीं रहेंगे. लेकिन अब देखकर ऐसा लग रहा है कि सच में जितनी उम्मीद थी, शिंदे को उससे बहुत कम पर समझौता करना पड़ा है. आइए इसे समझते हैं कि कैसे नई सरकार में शिंदे का कद घट गया है.

कैसे एकनाथ शिंदे का प्रभाव सीमित हो गया

दरअसल, महाराष्ट्र में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गृह विभाग समेत कई महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखे, जबकि एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और लोक निर्माण जैसे विभागों से ही संतोष करना पड़ा. शनिवार को जब फडणवीस सरकार ने अपने मंत्रिमंडल को विभागों का आवंटन किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि एकनाथ शिंदे का प्रभाव सीमित हो गया है. 

महाराष्ट्र राजनीति का पासा पलट दिया था

ये वही एकनाथ शिंदे हैं जिन्होंने अकेले दम पर 2022 महाराष्ट्र की राजनीति का पासा पलट दिया था. पहले उद्धव आर्मी को पस्त किया फिर बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं सरकार में भी रहते हुए उनकी कार्यशैली चर्चा में रही. उनकी योजनाओं की भी चर्चा रही. अब जबकि इस चुनाव बाद उन्होंने गृह विभाग को लेकर एक तरह से मांग कर डाली थी तो उन्हें नहीं मिला. यह विभाग फडणवीस ने अपने पास रखा.

उद्धव ठाकरे से बगावत..फायदा किसको

साल 2022 में उद्धव ठाकरे से बगावत के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महायुति सरकार बनाई थी. लेकिन इस बार की चुनावी परिस्थितियों ने शिंदे के राजनीतिक कद को सीमित कर दिया. ये तो तय था कि बीजेपी का सीएम बनेगा क्योंकि 132 सीटों पर जीत दर्ज कर बहुमत के करीब पहुंचते हुए बीजेपी ने अपनी धमक दिखा दी थी. शिंदे की शिवसेना की 57 सीटें और अजित पवार की एनसीपी की 41 सीटें मिली थीं, लेकिन शिंदे की मांगों को खास तवज्जो नहीं दी गई.

..और गृह विभाग फडणवीस के पास

फिलहाल अब शिंदे डिप्टी सीएम हैं. पिछले कार्यकाल में फॉर्मूला यह था कि सीएम शिंदे थे और गृह विभाग फडणवीस के पास था. शिंदे को इस बार ऐसे ही फार्मूले की उम्मीद थी लेकिन इस बार बीजेपी ने यह विभाग अपने पास ही रखा. इस पर दिल्ली और मुंबई में कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन नतीजा शिंदे के पक्ष में नहीं आया. गृह विभाग के साथ-साथ फडणवीस ने ऊर्जा, कानून और न्यायपालिका, सामान्य प्रशासन, और सूचना एवं प्रचार विभाग भी अपने पास रखे हैं. शिंदे को शहरी विकास, आवास, और लोक निर्माण विभाग दिए गए, जबकि अजीत पवार को वित्त और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग सौंपा गया.

पार्टी पर क्या असर होगा

एक्सपर्ट्स का साफ मानना है कि शिंदे का कद इसलिए घटा है क्योंकि बीजेपी और एनसीपी गठबंधन के पास बहुमत का आंकड़ा आराम से पार करने के लिए पर्याप्त सीटें हैं. अजित पवार पहले भी इस गठबंधन का हिस्सा थे. यहां तक कि बीजेपी अकेले ही जोरदार नंबर लेकर आई है. ऐसे में शिवसेना के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे. शिंदे के घटते कद का असर उनकी पार्टी पर क्या असर होगा, यह भी समय ही बताएगा. 

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