कोई फिंगरप्रिंट नहीं तो पिस्तौल कैसे छीन ली? बदलापुर कांड के आरोपी की मौत पर 5 पुलिसवाले फंसे
Advertisement
trendingNow12609770

कोई फिंगरप्रिंट नहीं तो पिस्तौल कैसे छीन ली? बदलापुर कांड के आरोपी की मौत पर 5 पुलिसवाले फंसे

Badlapur sexual assault case: बांबे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बदलापुर  केस के आरोपी की मौत के केस को लेकर कहा, ‘मजिस्ट्रेट ने जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी. वो इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि आरोपी अक्षय शिंदे की मौत के लिए 5 पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं. अब कानूनन, पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद एक्शन होना चाहिए.'

 

कोई फिंगरप्रिंट नहीं तो पिस्तौल कैसे छीन ली? बदलापुर कांड के आरोपी की मौत पर 5 पुलिसवाले फंसे

Akshay Shinde Encounter: बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में हुई मौत (Akshay Shinde death) की मजिस्ट्रेट जांच में 5 पुलिसकर्मियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. अब उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया है. मजिस्ट्रेट ने सोमवार को सीलबंद लिफाफे में अपनी जांच रिपोर्ट बंबई हाईकोर्ट को सौंपी. बंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court) शिंदे के पिता अन्ना शिंदे की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. अन्ना शिंदे ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उनके बेटे को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार डाला. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने रिपोर्ट पर नजर डाली और कहा कि सरकार जांच के आधार पर मामला दर्ज करने के लिए बाध्य है.

HC की तल्ख टिप्पणी

इस घटना में शामिल अधिकारियों में ठाणे अपराध शाखा के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे, सहायक पुलिस निरीक्षक (API) नीलेश मोरे, मुख्य आरक्षी अभिजीत मोरे, हरीश तावड़े और एक पुलिस ड्राइवर शामिल थे. हाईकोर्ट ने कहा, ‘मजिस्ट्रेट ने जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. मजिस्ट्रेट इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि आरोपी अक्षय शिंदे की मौत के लिए पांच पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं. अब कानूनन, पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद एक्शन होना चाहिए. 

कोर्ट ने कहा, ‘आप (सरकार) इस मजिस्ट्रेट रिपोर्ट के आधार पर FIR दर्ज करने के लिए बाध्य हैं. आप, हमें बताएं कि कौन सी एजेंसी मामले की जांच करेगी.’

ये भी पढ़ें- डीसीपी साहब के बाद प्रिंसपल सर! स्कूल में महिला टीचर के साथ रोज मनाते थे रंगरलियां; 2-2 मिनट के कई वीडियो वायरल

मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट में कहा कि गाड़ी में अक्षय शिंदे के साथ मौजूद चार पुलिसकर्मी स्थिति को संभालने की स्थिति में थे. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया बल प्रयोग उचित था? रिपोर्ट में अपराध विज्ञान विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) के निष्कर्षों पर ध्यान दिया गया, जिसमें कहा गया था कि अक्षय शिंदे की उस पिस्तौल पर कोई फिंगरप्रिंट नहीं थी, जिसके बारे में कहा गया कि उसने कांस्टेबल से पिस्टल को छीनकर उससे गोली चलाई थी.

पुलिस को बदलना होगा काम करने का तरीका?

हाईकोर्ट ने कहा, ‘जहां तक ​​FSL रिपोर्ट का सवाल है, मृतक के माता-पिता द्वारा लगाए गए आरोप (कि उनके बेटे को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार डाला) सत्य पाए गए हैं.’ बेंच ने केस की सुनवाई के दौरान कहा, 'रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस को भविष्य में ऐसी स्थितियों में किस तरह की सावधानी बरतनी होगी'.

हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट की एक प्रति अभियोजन पक्ष और अन्ना शिंदे को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने कहा, ‘हम मूल रिपोर्ट और इसके साथ संलग्न सभी दस्तावेज तथा गवाहों के बयान फिलहाल अपने पास रखेंगे. अभियोजन पक्ष को मामले की जांच के दौरान बाद में इसकी जरूरत पड़ सकती है.’

बदलापुर मामले का पूरा सच

कोर्ट ने सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर से कहा कि वह दो हफ्ते में बेंच को बताएं कि मामले की जांच कौन सी जांच एजेंसी करेगी. अक्षय शिंदे (24) को अगस्त 2024 में बदलापुर के एक स्कूल के शौचालय के अंदर दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वह स्कूल में ‘अटेंडेंट’ था. शिंदे की 23 सितंबर को तलोजा जेल से पूछताछ के लिए ले जाते समय कथित पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी.

पुलिस ने दावा किया था कि उसने पुलिस वाहन में मौजूद एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली, गोली चलाई और जवाबी गोलीबारी में मारा गया. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे ने अक्षय को गोली मारी थी, जबकि गोलीबारी के समय गाड़ी में एपीआई नीलेश मोरे, 2 कांस्टेबल और एक पुलिस चालक मौजूद थे.

अक्षय शिंदे को उसकी पत्नी (Akshay Shinde wife) द्वारा उसके खिलाफ दर्ज कराए गए एक मामले के संबंध में पूछताछ के लिए ले जाया जा रहा था. पुलिस कस्टडी में किसी आरोपी की मौत के केस में कानून के तहत मजिस्ट्रेटी जांच शुरू की जाती है. हाईकोर्ट ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में भी लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए स्कूलों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने का आदेश दिया था. जिसे लेकर सरकारी वकील वेनेगांवकर ने कोर्ट के सामने शिक्षा विभाग का एफिडेविट पेश किया, जिसमें घटना के बाद उठाए गए कदमों के बारे में बताया गया है. कमेटी की रिपोर्ट 31 जनवरी तक तैयार होगी. (इनपुट: भाषा)

Trending news