Left Vs Right Driving Rules: भारत में गाड़ियों में ड्राइविंग सीट लेफ्ट साइड में होती है, जबकि यूएस समेत कई देशों में राइट साइड में ड्राइवर की जगह होती है. क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में ड्राइविंग सीट अलग-अलग क्यों होती है. जानिए लेफ्ट और राइट साइड की क्या है हिस्ट्री...
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Why Driving Seats Different Sides In World: दुनिया के अलग-अलग देशों में ड्राइविंग सीट की जगह लेफ्ट या राइट साइड में होती है. यह केवल एक डिजाइन का मामला नहीं है, बल्कि इसका गहरा कनेक्शन इतिहास, परंपराओं और कानूनों से है. आइए जानते हैं कि यह बदलाव कैसे हुआ और किन देशों में कौन सा नियम लागू है.
ड्राइविंग सीट का इतिहास
ड्राइविंग सीट की दिशा का इतिहास ब्रिटिश शासन से जुड़ा है. ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों में सड़क पर बाईं ओर चलने का नियम लागू किया था. भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और अन्य कई देशों में यह नियम आज भी जारी है. ब्रिटेन में घोड़ों और गाड़ियों के समय से ही बाईं ओर चलने की परंपरा रही है.
बाईं ओर ड्राइविंग करने वाले देश
दुनिया के लगभग 76 देशों में सड़क पर बाईं ओर ड्राइविंग होती है. इनमें भारत, ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और सिंगापुर शामिल हैं. इन देशों में ड्राइविंग सीट गाड़ी के दाईं ओर होती है. इसका मकसद वाहन चालक को विपरीत दिशा से आने वाले ट्रैफिक को साफ तौर पर देखना है.
दाईं ओर ड्राइविंग करने वाले देश
दुनिया के अधिकांश देश सड़क पर दाईं ओर ड्राइविंग करते हैं. इनमें अमेरिका, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस और ब्राजील शामिल हैं. इन देशों में गाड़ी की ड्राइविंग सीट बाईं तरफ होती है. दाईं ओर ड्राइविंग की यह परंपरा महाद्वीपीय यूरोप और अमेरिका में विकसित हुई, जहां घोड़े गाड़ियों को नियंत्रित करना आसान होता था.
कैसे तय होती है ड्राइविंग डायरेक्शन?
किसी देश में ड्राइविंग दिशा इस पर निर्भर करती है कि वहां का कानून सड़क पर गाड़ियों को किस दिशा में चलाने की अनुमति देता है. यह कानून आमतौर पर स्थानीय इतिहास, भूगोल और तकनीकी जरूरतों के आधार पर तय होता है.
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टेक्नीक और ड्राइविंग डायरेक्शन
आजकल ऑटोमोबाइल कंपनियां देशों के ड्राइविंग नियमों को ध्यान में रखते हुए गाड़ियों का निर्माण करती हैं. हालांकि, स्वचालित और सेल्फ-ड्राइविंग कारों के आने से यह बहस कम हो रही है कि सीट किस तरफ होनी चाहिए.
क्या कभी होगा एक समान नियम?
हालांकि, ग्लोबलाइजेशन के दौर में उम्मीद थी कि पूरी दुनिया में ड्राइविंग नियम एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों से यह संभव नहीं हो पाया.
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