Sea Boundary: ये तो आपको पता ही होगा कि सभी देशों की सुमद्री सीमाएं तय होती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं. आखिर कैसे किसी देश की मैरीटाइम बाउंड्री निर्धारित की जाती है? आइए जानते हैं यहां...
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Maritime Boundary Of A Country: दुनिया के हर देश की एक सीमा निर्धारित है. कौन सा देश कहां तक है और कितनी जगह में फैला है, यह सब हम देश-दुनिया के नक्शे में जान लेते हैं. जिस तरह से यह धरती देशों में बंटी हुई है, उसी तरह से समंदर पर भी बॉर्डर तय की गई हैं. जी हां, जैसे किसी देश की जमीनी सीमा होती है, वैसे ही समुद्री सीमा भी होती है. आइए जानते हैं कि कितनी दूर तक होता है किसी देश का अधिकार और कैसे किसी देश की मैरीटाइम बाउंड्री तय की जाती है.
मैरीटइम लॉ ट्रिटी
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS-1982) के तहत समुद्री सीमा से जुड़े नियम और कानून भी तय किए गए. UNCLOS का फुल फॉर्म United Nations Convention on The Law of The Sea है. यह संधि एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जो सभी सागरों और महासागरों पर अलग-अलग देशों के अधिकार, सीमाएं और उनकी जिम्मेदारियां तय करता है. इसमें समुद्री साधनों के इस्तेमाल के नियम भी तय किए गए हैं. इसी के तहत दो देशों के बीच समुद्री सीमा विवाद भी हल किए जाते हैं.
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ऐसे तय होती हैं सीमाएं
संयुक्त राष्ट्र ने इस कानून को साल 1982 में अपनाया था. हालांकि, यह नवंबर 1994 से प्रभाव में आया. भारत ने इसे 1995 में UNCLOS को अपनाया. UNCLOS के तहत समुद्र के संसाधनों को तीन क्षेत्रों आंतरिक जल, प्रादेशिक सागर और अनन्य आर्थिक क्षेत्र में बांटा गया है.
आंतरिक जल (Internal Waters-IW): इसे आधार सीमा भी कहा जाता है. यह क्षेत्र बेसलाइन की भूमि के किनारे पर होता है. आधार सीमा देश के जमीनी सतह से 12 नॉटिकल माइल (करीब 22.22) किलोमीटर तक होती है, जिसमें तहत उस देश के आस-पास के द्वीप भी आते हैं.
प्रादेशिक सागर (Territorial Sea-TS): यह बेसलाइन से 12 समुद्री मील की दूरी तक फैला हुआ होता है, जिसे क्षेत्रीय सीमा भी कहा जाता है. क्षेत्रीय सीमा जमीनी सतह से 24 नॉटिकल माइल (करीब 44.44 किमी) तक होती है. इसमें उस देश का पूरा अधिकार होता है. इसके हवाई क्षेत्र, समुद्र, सीबेड और सबसॉइल पर कोस्टल कंट्रीज का राइट होता है, जिसमें लीविंग और नॉन-लीविंग रिसोर्सेज शामिल हैं.
अनन्य आर्थिक क्षेत्र ( Exclusive Economic Zone-EEZ): एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन का दायरा बेसलाइन से 200 नॉटिकल माइल (करीब 370 किमी) तक होता है. इसमें तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का अधिकार होता है. इस सीमा के अंदर देश किसी भी तरह का समुद्री व्यापार कर सकता है और मछुआरे मछली पकड़ सकते हैं.
Indian Maritime Border
भारतीय समुद्री सीमा 7,516.6 किलोमीटर लंबी है, जिसमें मुख्य भूमि, लक्षद्वीप द्वीप समूह और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं. भारत की समुद्री सीमा पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया और थाईलैंड से मिलती है.