UPSC Success Story: आज हम आपको एक ऐसी आईएएस ऑफिसर के बारे में बताएंगे, जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए खुद को करीब 6 महीने तक एक कमरे में बंद कर लिया और बाहरी दुनिया से अलग होकर यूपीएससी की तैयारी की.
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IAS Nidhi Siwach: भारत में सिविल सेवा अधिकारी बनना सबसे चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित करियर में से एक है. आईएएस या आईपीएस जैसी भूमिका पाने के लिए उम्मीदवारों को कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है. हर साल, केवल कुछ ही उम्मीदवार इस कठिन परीक्षा को पास कर पाते हैं.
6 महीने खुद को कमरे में बंद रखा
आज हम आपको एक ऐसी ही उम्मीदवार निधि सिवाच के बारे में बताएंगे, जिनकी कहानी उन उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है, जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. दो बार असफल होने के बाद, उन्होंने अपनी तैयारी के लिए असाधारण कदम उठाए. उन्होंने छह महीने तक खुद को एक कमरे में बंद रखा और पूरी तरह से पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया. तीसरे प्रयास में, उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2018 में ऑल इंडिया 83वीं रैंक (AIR 83) हासिल की.
नौकरी छोड़कर शुरू की UPSC की तैयारी
हरियाणा की रहने वाली निधि सिवाच बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होनहार थीं. उन्होंने 10वीं कक्षा में 95% और 12वीं में 90% अंक हासिल किए. उन्होंने सोनीपत के दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने हैदराबाद में टेक महिंद्रा कंपनी में डिजाइन इंजीनियर के रूप में नौकरी की.
साल 2017 में, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं. उनके इस फैसले के पीछे उनका समाज की सेवा करने का सपना था.
बाहरी दुनिया से खुद को किया अलग
निधि ने अपनी तैयारी को और बेहतर बनाने के लिए छह महीने तक खुद को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग कर लिया. उन्होंने परीक्षा के लिए इंग्लिश मीडियम चुना और इतिहास को अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाया. साल 2018 में, अपने तीसरे प्रयास में, उन्होंने 83वीं रैंक हासिल की और आज वह गुजरात में एक आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं.
निधि सिवाच की कहानी से सीख
यूपीएससी परीक्षा पास करना न केवल अपनी नॉलेज टेस्ट है, बल्कि धैर्य, समर्पण और कठिन परिश्रम का परिचय भी है. एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट से लेकर एक सम्मानित आईएएस अधिकारी बनने तक, निधि सिवाच की यात्रा हर उस उम्मीदवार के लिए प्रेरणादायक है जो सिविल सेवा में शामिल होकर समाज की सेवा करना चाहता है. उनकी कहानी यह सिखाती है कि सच्ची मेहनत और मजबूत इरादों से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है.