कभी-कभी हिंसा जरूरी होती है... RSS के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने क्यों कहा ऐसा?
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कभी-कभी हिंसा जरूरी होती है... RSS के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने क्यों कहा ऐसा?

संघ के वरिष्ठ नेता का एक बयान काफी चर्चा में है. उन्होंने कहा है कि कभी-कभी अहिंसा वाले कॉन्सेप्ट की रक्षा करने के लिए हिंसा आवश्यक होती है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लोगों को सबको साथ लेकर शांति के पथ पर चलना होगा.

कभी-कभी हिंसा जरूरी होती है... RSS के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने क्यों कहा ऐसा?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने बड़ा बयान दिया है. भारत को शांति के पथ पर सभी को साथ लेकर चलने पर जोर देते हुए आरएसएस लीडर ने कहा कि अहिंसा की अवधारणा की रक्षा के लिए कभी-कभी हिंसा ‘आवश्यक’ होती है. उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय के मैदान में ‘हिंदू आध्यात्मिक सेवा मेला’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा, ‘हिंदू सदा ही अपने धर्म की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. अपने धर्म की रक्षा के लिए, हमें वे काम भी करने होंगे जिन्हें दूसरे लोग अधर्म करार देंगे और ऐसे काम हमारे पूर्वजों ने किए थे.’ जोशी ने पौराणिक ग्रंथ महाभारत का हवाला देते हुए कहा कि पांडवों ने अधर्म को खत्म करने के लिए युद्ध के नियमों की अनदेखी की.

उन्होंने कहा, ‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हिंदू धर्म में अहिंसा का तत्व निहित है. हालांकि, कभी-कभी हमें अहिंसा की अवधारणा की रक्षा के लिए हिंसा का सहारा लेना पड़ता है. अन्यथा, अहिंसा की अवधारणा कभी सुरक्षित नहीं रहेगी. हमारे महान पूर्वजों ने हमें यह संदेश दिया है.’

आरएसएस नेता के अनुसार, भारत के लोगों को शांति के पथ पर सबको साथ लेकर चलना होगा क्योंकि जो सबको साथ लेकर चल सकता है वही शांति स्थापित कर सकता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई धर्म लोगों को अपने-अपने धर्मों का पालन करने की अनुमति नहीं देता है तो शांति स्थापित नहीं होगी.

जोशी ने कहा, ‘भारत के अलावा कोई भी ऐसा देश नहीं है जो सभी देशों को साथ लेकर चलने में समर्थ हो. ‘वसुधैव कुटुंबकम’ हमारी आध्यात्मिकता की अवधारणा है. अगर हम पूरी दुनिया को एक परिवार मान लें तो कोई संघर्ष नहीं होगा.’

उन्होंने कहा, ‘जब हम कहते हैं कि भारत को मजबूत बनना चाहिए, तो हम असल में दुनिया को आश्वासन दे रहे हैं कि एक मजबूत भारत और एक मजबूत हिंदू समुदाय सभी के हित में है क्योंकि हम कमजोर और वंचितों की रक्षा करेंगे. यह विश्व के हिंदुओं से जुड़ी विचारधारा है.’

आरएसएस नेता ने कहा कि दुनियाभर में यह मिथक है कि चर्च या मिशनरी जैसी कुछ ही संस्थाएं निस्वार्थ सेवा कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारी एक प्राचीन परंपरा है जिसमें हमारे मंदिरों या गुरुद्वारों में प्रतिदिन लगभग एक करोड़ लोगों को भोजन कराया जाता है. हिंदू धार्मिक संगठन केवल अनुष्ठान करने तक ही सीमित नहीं हैं, वे स्कूल, गुरुकुल और अस्पताल भी संचालित करते हैं.’

उन्होंने कहा कि जब लोग खुद को हिंदू कहते हैं तो इसमें कई पहलू शामिल होते हैं, यह एक धर्म, आध्यात्मिकता, विचारधारा, सेवा और जीवनशैली है. आरएसएस नेता ने कहा कि मानवता, हिंदू धर्म के केंद्र में है और इसमें ‘‘हमारे कर्तव्य, सहयोग, सच्चाई और न्याय’’ शामिल हैं. इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. (भाषा)

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