UPSC Success Story: इसे कहते हैं असफलता से सीखकर सफलता पाना, ऐसी ही कहानी है इस महिला अफसर की
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UPSC Success Story: इसे कहते हैं असफलता से सीखकर सफलता पाना, ऐसी ही कहानी है इस महिला अफसर की

IAAS Ambika Raina Story: अट्रैक्टिव जॉब की संभावनाओं के बावजूद, अंबिका ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी पर फोकस करना चुना.

UPSC Success Story: इसे कहते हैं असफलता से सीखकर सफलता पाना, ऐसी ही कहानी है इस महिला अफसर की

IAAS Ambika Raina Success Story: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा ग्लोबल लेवल पर सबसे कठिन भर्ती परीक्षाओं में से एक के रूप में प्रसिद्ध है. इच्छुक उम्मीदवार IAS, IFS या IPS अधिकारी बनने का लक्ष्य रखते हुए सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी के लिए व्यापक समय और प्रयास करते हैं. जबकि लाखों लोग परीक्षा देने का प्रयास करते हैं, केवल कुछ ही अपने पहले अटेंप्ट में सफल हो पाते हैं. इस परीक्षा में सफल होने वालों में अंबिका रैना भी शामिल हैं, जिन्होंने सिविल सर्वेंट बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए स्विट्जरलैंड में अपना करियर छोड़ दिया.

अंबिका रैना की जर्नी

जम्मू और कश्मीर की रहने वाली अंबिका रैना भारतीय सेना में मेजर जनरल की बेटी हैं. अपने पिता की ट्रांसफरेबल नौकरी के कारण, उन्होंने भारत भर के अलग अलग राज्यों में स्कूल में पढ़ाई की. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में CEPT यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में डिग्री हासिल की. अपने आखिरी साल के दौरान, उन्हें ज्यूरिख की एक फर्म के साथ इंटर्नशिप के अवसर समेत कई नौकरी के ऑफर मिले.

आगे अट्रैक्टिव जॉब की संभावनाओं के बावजूद, अंबिका ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी पर फोकस करना चुना. नॉन ह्यूमैनिटीज बैकग्राउंड से आने के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे उसका सेल्फ कॉन्फिडेंस प्रभावित हुआ. हालांकि, वह दृढ़ निश्चयी रही और लगन से काम करती रही, आखिर 2022 में यूपीएससी परीक्षा में 164 की ऑल इंडिया रैंक के साथ सफल हुई. उन्होंने अपने तीसरे अटेंप्ट में यह सफलता हासिल की.

चुनौतियों पर काबू पाना

अंबिका का रास्ता बाधाओं से अछूता नहीं था. शुरू में अपनी एक्सपर्टीज से बाहर के सब्जेक्ट से जूझना तैयारी को मुश्किल बनाता था. फिर भी, उन्होंने अपना फोकस बनाए रखा और पिछली असफलताओं से सीखा. अपने पिछले अटेंप्ट का एनालिसिस करके और अपनी स्टडी स्ट्रेटजी बनाकर, उन्होंने एक बड़ी अप्रोच डेवलप की. जिसमें मॉक टेस्ट लेना और पिछले पेपर की समीक्षा करना शामिल था.

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सिलेबस को गहराई से समझने और ऑनलाइन उपलब्ध रिसोर्सेज का फायदा उठाने के प्रति उनके समर्पण ने उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाई. अंबिका की जर्नी फ्लेक्सिबिलिटी और एडप्टिबिलिटी का उदाहरण है, जो कई महत्वाकांक्षी सिविल सर्वेंट के लिए मोटिवेशन का सोर्स है.

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