Colombo Port Project Funding: पिछले दिनों अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप लगने और यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन की तरफ से फंडिंग की रिक्वेस्ट को आगे नहीं बढ़ाने पर अडानी पोर्ट्स ने अपने दम पर कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट को पूरा करने की बात कही है.
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Colombo Port Project: भारतीय अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने कहा कि वह श्रीलंका में कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट (Colombo Port Project) को पूरा करने के लिए खुद के संसाधनों का इस्तेमाल करेगा. इसके लिए अमेरिकी फंडिंग नहीं मांगी जाएगी और अमेरिकी फंडिंग के अनुरोध को वापस ले लिया गया है. मंगलवार देर रात अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड (APSEZ) की तरफ से एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया कि प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत में चालू होने के लिए तैयार है. कंपनी की तरफ से कहा गया कि आंतरिक तौर पर इकट्ठा किये गए पैसे से प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग की जाएगी.
553 मिलियन यूएस डॉलर के लोन पर बनी थी सहमति
कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी में कहा गया कि उसने यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) से 2023 के लिए 'वित्तपोषण के अनुरोध' को वापस ले लिया है. यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) ने पिछले साल नवंबर में श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) नामक गहरे पानी के कंटेनर टर्मिनल के विकास, निर्माण और संचालन को सपोर्ट करने के लिये 553 मिलियन यूएस डॉलर का लोन देने पर सहमति जताई थी.
श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने आवेदन को रिव्यू के लिए भेजा था
सीडब्ल्यूआईटी (CWIT) को अडानी पोर्ट्स, श्रीलंकाई ग्रुप जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) मिलकर कर रही हैं. DFC फाइनेंसिंग अमेरिकी सरकार के क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के प्रयास का हिस्सा था और इसे अडानी की विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करने की क्षमता का समर्थन करने के रूप में देखा गया. हालांकि, DFC की तरफ से अडानी और SLPA के बीच एग्रीमेंट को अपनी शर्तों के अनुरूप संशोधित करने के अनुरोध के बाद लोन प्रक्रिया रुक गई. बाद में इसे श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल के जरिये रिव्यू के लिये भेजा गया.
51 प्रतिशत का हिस्सा अडानी पोर्ट्स के पास
दरअसल, अब यह प्रोजेक्ट पूरा होने के करीब है. इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इसमें 51 प्रतिशत का हिस्सा अडानी पोर्ट्स का है. ऐसे में अडानी पोर्ट्स ने डीएफसी (DFC) से फंडिंग के बिना प्रोजेक्ट को पूरा करने का विकल्प चुना है. पिछले दिनों अमेरिकी एजेंसी की तरफ से कहा गया था कि वह 'अडानी ग्रुप के अधिकारियों के खिलाफ लगे रिश्वतखोरी के आरोपों के प्रभाव का आकलन कर रही है'. इसने अब तक पोर्ट्स-टू-एनर्जी ग्रुप को कोई पैसा जारी नहीं किया है.
अडानी समेत आठ पर अमेरिका में लगा आरोप
आपको बता दें पिछले महीने, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने अडानी ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन गौतम अडानी समेत आठ लोगों पर भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने की कथित साजिश रचने का आरोप लगाया था. आरोपों में कहा गया कि रिश्वत देने का मकसद सोलर पावर सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने की कोशिश था. इसमें कहा गया कि इससे 20 साल में 2 अरब अमेरिकी डॉलर का फायदा होने की उम्मीद थी.
शेयर पर दिखेगा असर?
अडानी पोर्ट्स की तरफ से सेल्फ फंडिंग से प्रोजेक्ट को पूरा करने की जानकारी दिये जाने के बाद इसका असर अडानी ग्रुप के शेयरों पर देखने को मिल सकता है. एक दिन पहले अडानी पोर्ट्स का शेयर 1.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबारी सत्र के अंत में 1252 रुपये पर बंद हुआ. पिछले एक महीने में यह शेयर 7 प्रतिशत से ज्यादा टूट चुका है. पिछले छह महीने की बात करें तो इसने 11 प्रतिशत का निगेटिव रिटर्न दिया है. अडानी पोर्ट्स के शेयर ने साल 2024 के दौरान अब तक 19.48 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. (PTI)