Magh Maah: इस दिन माघ मास मौनी अमावस्या, बिना बोले किया जाता है स्‍नान; ये है धार्मिक कारण
Advertisement
trendingNow11533365

Magh Maah: इस दिन माघ मास मौनी अमावस्या, बिना बोले किया जाता है स्‍नान; ये है धार्मिक कारण

Mauni Amavasya 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 में माघ मास की अमावस्या 21 जनवरी को पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान पुण्य करने से अपने कष्टों से मुक्ति मिलती हैं. आइए जानते है कि इस अमावस्या को मौनी अमावस्या क्यों कहा जाता है.

 

माघ माह की मौनी आमवस्या

Maghi Amavasya 2023 Upay: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन प्रातःकाल उठकर मौन रहते हुए गंगा स्नान करना चाहिए. यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही हो तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं और इन स्थितियों में अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस बार की माघ अमावस्या शनिवार 21 जनवरी को पड़ रही है. 

बहुत से श्रद्धालु माघ मास शुरू होते ही तीर्थों के राजा प्रयागराज में संगम के तट पर कल्पवास करते हैं और नित्य ही त्रिवेणी में स्नान करते हैं. माघ मास का सर्वाधिक महत्व अमावस्या और पूर्णमासी की तिथियों पर होता है. इन तिथियों में प्रातः काल जागने के बाद गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, यदि कोई व्यक्ति नदी में स्नान करने नहीं पहुंच सकता है तो उसे घर ही स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए, इसके बाद पूजन आदि करते हुए दान करना चाहिए. 

यूं तो दान कभी भी दिया जा सकता है किंतु कहते हैं अमावस्या और पूर्णमासी के दिन दिए गए दान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. दान देने वालों को इस बात का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए कि दान देना किसी पर एहसान करना नहीं है बल्कि ऐसा करके वह अपने पुण्य का बैंक बैलेंस ही बढ़ाने का कार्य करते हैं. 

मौन का धार्मिक अर्थ 

मौनी अमावस्या अर्थात अमावस्या के दिन रखने वाला मौन. यूं तो धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन बिना कुछ बोले स्नान और उसके बाद पूजन भजन और दान आदि का कर्म बताया गया है किंतु वास्तव में हमें मौन के सूक्ष्म अर्थ को समझना होगा. सामान्य तौर पर तो हम दिन भर कुछ न कुछ बोलते ही रहते हैं जिसमें बहुत सी बातें यूं ही होती हैं और कई बार मिथ्या भी बोला जाता है. मौन का अर्थ मुंह पर अंगुली रख कर चुपचाप बैठे रहना नहीं है, मौन का अर्थ है कि अपने मुख से बुरे वचन न निकाले, कोई ऐसी वाणी नहीं बोलनी है जो दूसरों को कष्ट दे. मौनी अमावस्या की सार्थकता तो तभी है, जब हम अपनी वाणी को तोल मोल कर इस्तेमाल करें.

अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

Trending news