Karnataka: अदालत ने पुलिस पर क्यों लगाया 5 लाख रुपये का जुर्माना?
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Karnataka: अदालत ने पुलिस पर क्यों लगाया 5 लाख रुपये का जुर्माना?

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में पॉक्सो मामले में एक ग़लत शख्स को गिरफ्तार करने पर एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को पुलिस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही फैसला सुनाते हुए जिला द्वितीय अतिरिक्त एफटीएससी पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देने को कहा.  यह राशि पीड़ित को मुआवजे के रूप में सौंपी जाएगी.

Karnataka: अदालत ने पुलिस पर क्यों लगाया 5 लाख रुपये का जुर्माना?

कर्नाटक: अदालत का काम होता है कि, किसी बेकसूर को सज़ा ना मिले और कोई कसूरवार बख़्शा ना जाये. लेकिन कर्नाटक पुलिस इस मामले में चूक कर गई. जिसका ख़ामियाज़ा उसे 5 लाख रुपये के जुर्माने के साथ भुगतना पड़ा. दरअसल कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में पॉक्सो मामले में एक ग़लत शख्स को गिरफ्तार करने पर एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को पुलिस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही फैसला सुनाते हुए जिला द्वितीय अतिरिक्त एफटीएससी पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देने को कहा.  यह राशि पीड़ित को मुआवजे के रूप में सौंपी जाएगी.

नाम को लेकर हुआ कंफ्यूज़न
दरअसल मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन में एक नाबालिग लड़की के साथ रेप का मामला दर्ज किया गया था. जिसमें पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद सब-इंस्पेक्टर रोसम्मा पी.पी. ने नवीन नाम के व्यक्ति के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. जिसकी जांच पुलिस इंस्पेक्टर रेवती को सौंपी गई. लेकिन जांच के दौरान, मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन से जुड़े एएसआई कुमार ने नवीन के बजाय नवीन सेक्वेरा को गिरफ्तार कर लिया और जज के सामने पेश कर दिया.

पुलिस ने ग़लत व्यक्ति को किया ग़िरफ्तार
अब चूंकि जज के सामने पीड़िता ने अपने बयान में आरोपी 'नवीन' के बारे में ज़िक्र किया था. जबकि 'नवीन सेक्वेरा' के नाम का ज़िक्र नहीं किया था. लेकिन मामले में इंस्पेक्टर रेवती ने नवीन के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी. जब पीड़िता की ओर से बहस करने वाले वकीलों ने अदालत के संज्ञान में ये बात लाई कि, कोर्ट में दिये गए सभी दस्तावेज़ में आरोपी के नाम का उल्लेख केवल नवीन के रूप में है. जिसकी उम्र 25 से 26 साल बताई गई है.जबकि गिरफ्तार 'नवीन सीक्वेरा' की उम्र 47 साल है.  इस दौरान पीड़िता की ओर से वकील राजेश कुमार अमतादी और गिरीश शेट्टी ने बहस करते हुए तर्क दिया कि, पुलिस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. और उसे एक साल की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. यानि पुलिस ने मामले में अपराधी को गिरफ्तार ही नहीं किया है.

पुलिस को अपनी सैलरी से देना होगी जुर्माने की राशि
सभी दलील को सुनने के बाद जज के.यू. राधा कृष्ण ने फैसला सुनाया कि, नवीन सीक्वेरा बेकसूर है. उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने पर, पुलिस इंस्पेक्टर रेवती और एसआई रोसम्मा को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देनी होगी. इसके साथ ही अदालत ने राज्य के गृह मंत्रालय के चीफ सेक्रेट्री को पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा है.

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