UGC News: हैंडलूम, हमारे देश की सकाफती विरासत की अटूट पहचान है. इससे हजारों कारीगरों का रोजगार जुड़ा हुआ है. UGC ने सभी यूनिवर्सिटीज से अपील की है कि वो दीक्षांत समारोह जैसे खास मौकों के लिए हैंडलूम से बने कपड़ों का इस्तेमाल करें.
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University Grants Commission: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सभी यूनिवर्सिटीज से अपील की है कि वो दीक्षांत समारोह जैसे खास मौकों के लिए हैंडलूम से बने कपड़ें रस्मी तौर पर इस्तेमाल करें. यूजीसी ने 2015 और 2019 में इस सिलसिले में विश्वविद्यालयों को एक मैसेज भेजा था. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा है कि हथकरघा कपड़ों से बने लिबास भारत के क्लाइमेट में अधिक आरामदेह होते हैं और इन्हें पहनने के बाद गर्व की भावना पैदा होती है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सेक्रेटरी मनीष आर जोशी ने कहा कि यूजीसी की सलाह पर अमल करते हुए, कई विश्वविद्यालयों ने पहले से ही अपने सालाना कॉन्वोकेशन के दौरान रस्मी पोशाक के लिए हथकरघा कपड़ों को चुन लिया है. हालांकि, ऐसा भी नजर आ रहा है कि, कुछ विश्वविद्यालयों ने अभी भी दीक्षांत समारोह के दौरान अपने औपचारिक ड्रेस कोड में कोई तब्दीली नहीं की है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटीज हैंडलूम कपड़ों को औपचारिक पोशाक के तौर पर अपनाने पर गौर करें. हैंडलूम कपड़ों के इस्तेमाल से न सिर्फ हिन्दुस्तानी होने पर फख्र की भावना पैदा होगी बल्कि देश में हैंडलूम को भी बढ़ावा मिलेगा, जो कई परिवारों के लिए रोजगार का बड़ा जरिया बनेगा.
हैंडलूम कपड़े न सिर्फ भारतीय रिवायत का एक अटूट हिस्सा हैं, बल्कि लाखों लोगों के रोजगार का एक अहम जरिया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से इस सिलसिले में की गई कार्रवाई को तस्वीरों और वीडियो के साथ शेयर करने की भी अपील की है. वहीं, दूसरी तरफ कई विश्वविद्यालयों ते कुलसचिवों ने इस अपील का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि आगामी दीक्षांत समारोह में इस बात पर अमल किया जाएगा. कई राज्य विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज पहले से ही यूजी और पीजी छात्रों के लिए हथकरघा कपड़ों को बढ़ावा दे रहे हैं.