Manipur News: मणिपुर में चल रही जातीय झड़पों में मारे गए 'कुकी-ज़ो' पीड़ितों को एक सामूहिक दफन समारोह में दफनाया गया. इस हिंसा में कम से कम 196 लोगों की जाने गई थीं.
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Manipur News: मणिपुर में चल रही जातीय झड़पों में मारे गए 87 'कुकी-ज़ो' पीड़ितों के शवों को बुधवार को दफनाया गया. उन्हें पूर्वोत्तर राज्य के चुराचांदपुर जिले में आयोजित एक सामूहिक दफन समारोह में गांव के लोगों के जरिए आखिरी विदाई दी गई. मरने वालों को गांव वालों के जरिए ईसाई रीति-रिवाजों और बंदूक की सलामी के साथ दफनाया गया. हजारों लोग दफन स्थल पर एकत्र हुए जहां पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने भावनात्मक दृश्यों के बीच अंतिम विदाई दी. फिर पारंपरिक शॉल और पुष्पमालाओं से ढके ताबूतों को कब्रों में रखा गया.
कूकी महिला मानवाधिकार संगठन की अध्यक्ष नगैनेइकिम ने कहा, “हमें गहरी राहत महसूस हुई क्योंकि हमारे कई भाइयों और बहनों के शवों को हमारे रीति-रिवाजों के मुताबिक दफनाया गया. यह उन परिवारों के लिए एक लंबा इंतजार था, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया. अब मारे गए लोगों के लिए न्याय के लिए संघर्ष और कुकी-ज़ो लोगों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग जारी रहेगी.''
इस महीने कुकी-ज़ो पीड़ितों का यह दूसरा सामूहिक दफ़न समारोह था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इस महीने की शुरुआत में मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के 64 पीड़ितों के शवों को छह महीने के लंबे इंतजार के बाद मुर्दाघर लाया गया था.
60 कुकी-ज़ो पीड़ितों की लाशों को मैतेई-बहुल इम्फाल के दो मुर्दाघरों से कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया था, चार मैतेई पीड़ितों के अवशेषों को कुकी-बहुसंख्यक चुराचांदपुर के एक मुर्दाघर से इंफाल ले जाया गया था. 15 दिसंबर को, कांगपोकपी ले जाए गए कुकी-ज़ो पीड़ितों के 19 शवों को फ़ैजंग गांव में आयोजित एक सामूहिक दफन में दफनाया गया था. चुराचांदपुर लाए गए 41 शवों के साथ-साथ कुकी-ज़ो पीड़ितों के 46 अन्य शव, जिनके अवशेष चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज मुर्दाघर में पड़े थे, उन्हें बुधवार को दफनाया गया था.
मणिपुर में 3 मई से मैतेई और आदिवासी कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय झड़पें देखी जा रही हैं. हिंसा में कम से कम 196 लोगों की जान चली गई है और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हो गए हैं.