Delhi Riots 2020: HC में शरजील की ज़मानत अर्ज़ी पर सोमवार को सुनवाई; इमाम पर राजद्रोह का है आरोप
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Delhi Riots 2020: HC में शरजील की ज़मानत अर्ज़ी पर सोमवार को सुनवाई; इमाम पर राजद्रोह का है आरोप

Delhi Riots 2020: दिल्ली हाई कोर्ट 2020 के दंगों से जुड़े एक मामले में जेएनयू के छात्र शारजील इमाम की जमानत याचिका पर 10 अप्रैल को सुनवाई करेगा, जिसमें उनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप शामिल हैं.

Delhi Riots 2020: HC में शरजील की ज़मानत अर्ज़ी पर सोमवार को सुनवाई; इमाम पर राजद्रोह का है आरोप

Sharjeel Imam News: दिल्ली हाई कोर्ट 2020 में शहर में हुए दंगे के एक मामले में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगा. शरजील पर राजद्रोह का इल्जाम है. यह अर्जी जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. इसमें लोअर कोर्ट के 24 जनवरी 2022 के आदेश को चैलेंज दिया गया है, जिसके तहत इमाम की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी.

हाई कोर्ट ने 30 जनवरी को दिल्ली पुलिस से जानना चाहा था कि क्या शरजील की जमानत अर्जी फैसले के लिए निचली अदालत के पास भेजी जा सकती है, क्योंकि इस राहत की मांग को नामजूर करने से संबंधी निचली अदालत के ऑर्डर में उसकी बुनियाद नहीं बताई गई है. बेंच ने कहा था कि चूंकि, हाई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-124 ए (राजद्रोह) पर रोक लगा रखी है, ऐसे में शरजील के खिलाफ लगाई गई अन्य धाराओं को नजर में रखते हुए निचली अदालत के जमानत अर्जी खारिज किए जाने के आदेश का परीक्षण करना होगा.

 

लोअर कोर्ट ने पिछले साल शरजील पर आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह), 153 ए(वैमनस्य फैलाना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक अवांछनीय हरकत), 505 (सामाजिक शांति भंग करने वाले बयान) और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की दफा 13 (अवैध गतिविधि के लिए दंड) के तहत इल्जाम तय किए थे. अभियोजन के अनुसार, शरजील ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित रूप से ऐसी स्पीच दी थी, जिसमें उसने असम एवं पूर्वोत्तर हिस्से को देश से अलग करने की धमकी दी थी.

दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी पिटीशन में शरजील ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट यह समझने में नाकाम रही कि शीर्ष अदालत के निर्देश के आलोक में उसकी पूर्व जमानत अर्जी को खारिज किए जाने की बुनियाद यानी राजद्रोह का आरोप तो टिकता ही नहीं है, इसलिए उसे राहत दी जाए.

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