Rajasthan 2023 Vidhan Sabha Chunav Result Live: राजस्थान चुनाव के नतीजे आना शुरू हो गए हैं और जल्द ही पता चल जाएगा कि इस बार किसकी सरकार बनेगी. हालांकि, अब तक के रुझान बीजेपी की ओर जीत का इशारा कर रहे हैं और इंडियन नेशनल कांग्रेस इस चुनावी रेस से बाहर होती हुए दिख रही है. ऐसे में एक अहम चर्चा का विषय है कि ऐसे कौन कौन से फैक्टर हैं जिसकी वजह से कांग्रेस के हाथ से सत्ता की डोर छुटती दिख रही है.
Trending Photos
यूं तो राजनीति में हार- जीत होती रहती है, लेकिन जो भी सरकार राज्य की सत्ता पर काबिज़ होती है वो जनता के प्रति जवाबदेही होती है. ऐसी ही जब बात हम राजस्थान की होती है तो आपको बता दें की राजस्थान में जवाबदेही गहलोत सरकार की रही है, लेकिन गहलोत सरकार पर उनके 5 साल के कार्यकाल में उठे 5 ऐसे गंभीर सवाल हैं जिससे उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
5 साल 5 बड़े सवाल
1- कन्हैयालाल हत्याकांड
राजस्थान चुनाव प्रचार में बीजेपी ने कन्हैयालाल हत्याकांड का मुद्दा जम के भुनाया. बीजेपी ने उदयपुर के कन्हैयालाल की हत्या का मुद्दा कई बार उठाया और बीजेपी का ये दांव लगाया. उदयपुर मारवाड़ रीजन में आता है और कन्हैयालाल हत्याकांड का मुद्दा जनता के बीच उठाकर कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए बीजेपी ने राजस्थान में अपनी जगह पक्की कर ली.
2- पेपर लीक मामला और अधूरा वादा
चुनावी साल में एक के बाद एक गहलोत सरकार ने कई राजनातिक दांव पेच चले. मगर सस्ते कीमत पर गैस सिलेंडर के साथ -साथ कई योजनाओं पर पेपर लीक और साथ ही साथ लाल डायरी और करप्शन के लगे कई बड़े इलज़ाम गहलोत सरकार पर भारी पड़ गए. इतना ही नही जनता को आधे-अधूरे और अनमने ढंग से शुरू की गई योजनाओं से भी काफी निराशा हुई. सवा करोड़ महिलाओं को स्मार्टफोन देने की घोषणा की गई, चालीस लाख लोगों को फोन मिलने का अनुमान लगाया गया, लेकिन लगभग बीस-पच्चीस लाख लोगों को वास्तव में फोन दिए गए. जिन लोगों को स्मार्टफोन नहीं मिला, उनका वोट कांग्रेस की तरफ नहीं जाना बेहद स्वाभाविक है. बेरोजगारी भत्ता स्कीम और राज्य सरकार की फ्लैगशिप स्कीम, जिसके तहत गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 25 लाख रुपये दिए जाते हैं, का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा.
3- अपनों ने दिया धोखा
राजस्थान की राजनीति पर पकड़ रखने वालों का मानना है कि अशोक गहलोत ने कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों को कभी नहीं मनाया और शायद यही बागी कांग्रेस की हार की वजह बन गए. इसकी वजह यह बताई जा रही है की कांग्रेस से टिकट न मिलने पर कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार बन गए. कुछ लोग बीजेपी और अन्य पार्टियों के टिकट पर भी चुनाव में उतर गये. कांग्रेस को इस बगावत का नुकसान उठाना पड़.
4- सचिन पायलट की नाराज़गी
चुनाव में कांग्रेस की हार की एक वजह सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान को भी बताया जा रहा है. यह माना जा रहा है की इस खींचतान का असर पार्टी कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा है. इस खींचतान के कारण जनता के सामने भी एक नेगेटिव छवि बनी है. सचिन का डिप्टी सीएम के पद से जाना, संगठन में उन्हें कोई स्थान न दिया जाना, गहलोत का उनके लिए कई दफा अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना ये जानते हुए भी की 2018 चुनावों में सचिन ने जी जान लगाकर कम किए था, कहीं न कहीं राजस्थान की जनता की आँखों में खटक गया . हालाँकि कुछ महीने पहले यह खबर भी सामने आई थी की दोनों के बीच मतभेद खत्म हो गया है और इसके चलते चुनाव प्रचार के दौरान दोनों एक पोस्टर में नज़र आये मगर केसी भी रैली और रोड शो में साथ नही दिखे जिससे पायलट समर्थकों में एक साफ़ और सपष्ट सन्देश गया की अभी भी मतभेद बरक़रार है.
जिसके चलते गुर्जर वोट बैंक गहलोत के हाथ से जाता हुआ नज़र आया.
5- सालों तक खाली रहे पद
कांग्रेस की हार में मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत की लापरवाही या किसी अन्य वजह से बोर्ड निगमों सहित कई पदों को सालों साल खाली रहने को भी एक वजह माना जा रहा है. जो नियुक्तियां डेढ़-दो साल पहले होनी चाहिए थीं वे चुनाव के दिन हुई. इतना ही नही चुनाव से दो से तीन महीने पहले, विभिन्न समुदायों को खुश करने के लिए लगभग 16 बोर्ड बनाए गए. आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि आचार संहिता लागू होने से दो घंटे पहले तक कई बोर्डों में अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियां की गईं और आनन फानन में किए गए इन कार्यों से उतना लाभ नहीं मिला जितना हो मिलना चाहिए था.