सोशल मीडिया पर रोहिंग्या को बताया जा रहा आतंकवादी और घुसपैठिया; मामला पहुंचा हाईकोर्ट
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2073461

सोशल मीडिया पर रोहिंग्या को बताया जा रहा आतंकवादी और घुसपैठिया; मामला पहुंचा हाईकोर्ट

Delhi High Court: दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के दरवाजे पर दस्तक की है. उन्होंने अदालत से फेसबुक पर रोहिंग्या समाज के खिलाफ नफरत और भड़काऊ कंटेंट के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अक्सर रोहिंग्या  समाज के लिए 'आतंकवादी' और 'घुसपैठिए' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है.

सोशल मीडिया पर रोहिंग्या को बताया जा रहा आतंकवादी और घुसपैठिया; मामला पहुंचा हाईकोर्ट

Rohingya Refugees Appeal Delhi HC: रोहिंग्या शरणार्थियों ने दिल्ली हाई कोर्ट से मेटा प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच पर रोक लगाने की अपील की है. दरअसल, दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद हमीम और कौसर मोहम्मद ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है, जिसमें फेसबुक पर रोहिंग्या समाज के खिलाफ नफरत और भड़काऊ कंटेंट के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. जनहित याचिका में मेटा को ऐसी सामग्री के प्रसार को रोकने और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हेट स्पीच और हिंसा को बढ़ावा देने वाले कंटेंट को नष्ट करने की हिदायात देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं की पैरवी करने वाली वकील कवलप्रीत कौर ने इल्जाम लगाया है कि भारत में उत्पन्न होने वाली झूठी खबर और नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री फेसबुक पर रोहिंग्या शरणार्थियों को टारगेट करती है, और मंच जानबूझकर ऐसी चीजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है.

जनहित याचिका में कहा गया है कि फेसबुक के एल्गोरिदम ऐसी हानिकारक सामग्री को बढ़ावा देने में मददगार साबित होते हैं. अर्जी में भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी के राजनीतिकरण पर जोर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि रोहिंग्या समाज को खतरे के तौर पर बताया जाता है. अक्सर उनके लिए 'आतंकवादी' और 'घुसपैठिए' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. अर्जी में इक्वेलिटी लैब की 2019 की एक स्टडी का हवाला दिया गया है, जिसमें इस बात का  खुलासा किया गया है कि भारत में फेसबुक पर इस्लामोफोबिक पोस्ट का एक अहम प्रतिशत विशेष रूप से रोहिंग्या समुदाय को अपना निशाना बनाता है, बावजूद इसके कि भारत की मुस्लिम आबादी में उनका प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर है.

जनहित याचिका में ये दलील दी गई है कि हेट स्पीच के खिलाफ कार्रवाई करने में फेसबुक की नाकामी रोहिंग्याओं के लिए खतरा है, जो संविधान के ऑर्टिकल 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. हमीम और कौसर मोहम्मद ने रोहिंग्या समाज के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाले अकाउंट को सस्पेंड करने और पारदर्शी रूप से रिपोर्ट करने के लिए मेटा को निर्देश देने की मांग की है.

Trending news