Bihar News: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बिहार प्रति व्यक्ति आय पड़ोसी राज्य यूपी, झारखंड और ओडिशा से कम है. CAG की रिपोर्ट में कुछ चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Bihar News: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने कहा, "बिहार की प्रति व्यक्ति आय उसके पड़ोसियों झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश से कम है." CAG रिपोर्ट में 2011 से 2022 की अवधि के लिए आर्थिक विकास में वृद्धि दिखाई गई है. क्योंकि इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद GSDP की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 10.18 प्रतिशत रही है. जो देश के राष्ट्रीय CAGR 10.11 फीसदी से अधिक है.
हालांकि, 2021-22 के अंत में बिहार (Bihar) की प्रति व्यक्ति आय 54,383 रुपये है. यह आंकड़ा झारखंड, (Jharkhand) उत्तर प्रदेश, (Uttar Pradesh) ओडिशा (Odisha) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) जैसे अन्य राज्यों की तुलना में कम है. जहां क्रमश: 88,535 रुपये, 79,396 रुपये,1,39,995 रुपये और 1,37,339 रुपये है. यह नीतीश कुमार सरकार के लिए आंखें खोलने वाला है. क्योंकि वह 18 वर्षों से राज्य में सत्ता में हैं. लेकिन प्रति व्यक्ति आय पड़ोसी राज्यों की तुलना में बहुत कम है.
बिहार ने वर्ष 2021-22 के दौरान 15.04 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ जीएसडीपी के रूप में 6,75,448 करोड़ रुपये दर्ज किए हैं. महामारी की अवधि को छोड़कर इसमें प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. जब 2020-21 में विकास दर 0.80 प्रतिशत थी. भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2020-21 में पिछले साल की तुलना में 1.36 फीसदी दर्ज किया गया. वही 2021-22 के दौरान, आंतरिक कर्ज में 14.60 प्रतिशत की वृद्धि और भारत सरकार से कर्ज और पहले 47.57 प्रतिशत की वृद्धि के कारण राजकोषीय देनदारियां पिछले वर्ष की तुलना में 13.34 प्रतिशत बढ़ गई है.
31 मार्च, 2022 तक सरकारी संस्थाओं ने बिहार राज्य सरकार की ओर से 1,482.50 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. ये कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट से बाहर उधार हैं. राज्य सरकार ने इन कर्जों के लिए गारंटी प्रदान की है. क्योंकि ये उधार सीधे सरकार की उधारी का हिस्सा नहीं है. इन्हें वित्तीय खातों के सार्वजनिक कर्ज में शामिल नहीं किया गया और इसलिए आंकड़ों की गणना राज्य के राजकोषीय घाटे के रूप में की जा रही है.
इस प्रकार से राज्य की ऑफ-बजट उधारी को ध्यान में रखते हुए. मार्च 2022 के अंत में कुल बकाया कर्ज 2,57,510,21 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,58,992,71 करोड़ रुपये हो गया है. फलस्वरूप साल 2022 के अंत में GSDP का कुल कर्ज प्रतिशत 0.22 प्रतिशत माना गया है.
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