Syria Civil War: सीरिया की राजधानी दमिश्क पर मुल्क का सबसे ताकतवर विद्रोही संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति बशर अल असद मुल्क छोड़कर फरार हो गए हैं. इसी के साथ बशर अल-असद के 25 साल का शासन का भी अंत हो गया है.
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Syria Civil War: सीरिया में बशर अल-असद के करीब 25 साल के शासन का अंत हो चुका है. राजधानी दमिश्क पर मुल्क का सबसे शक्तशाली विद्रोही संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने कब्जा कर लिया है. इसी के साथ विद्रोहियों ने राजधानी को स्वाधीन घोषित करते हुए ऐलान किया है कि बशर अल-असद मुल्क छोड़ गए हैं और हर जगह विद्रोहियों के कब्जे हैं. दमिश्क की सड़कों पर विद्रोहियों के ही तोपों-टैंकों की आवाज गूंज रही है. सीरियाई सेना वर्दी उतारकर सिविल ड्रेस में आ गए गहैं. आइए जान लेते हैं कि आखिर राष्ट्रपति असद के खिलाफ विद्रोही गुट क्यों संघर्ष कर रहे हैं और इसकी मां क्या है?
सबसे पहले पहले आइए जानते हैं 59 साल ने बशर अल-असद के बारे में...बशर असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मौत के बाद सीरिया की सत्ता संभाली थी. उनके पिता हाफिज असद 1971 से देश पर शासन कर रहे थे.
पिता के बने उत्तराधिकारी
दमिश्क में जन्मे अल-असद ने राजधानी के ही एक मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद वह नेत्र विज्ञान में विशेषज्ञता (Specialization in Ophthalmology ) हासिल करने के लिए लंदन में चले गए थे. लेकिन, उन्हें अपने भाई की मौत के बाद पढ़ाई छोड़कर सीरिया वापस लौटना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असद के बड़े भाई बासेल अल-असद अपने पिता की जगह लेने वाले थे, लेकिन एक कार हादसे में उनकी मौत हो गई. इसके बाद बशर पिता के उत्तराधिकारी बने.
सीरिया में इस युद्ध की शुरुआत 13 साल पहले 2011 में हुई थी. उस दौरान लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों सीरियाई नागरिक सड़कों पर उतर आए, लेकिन उन्हें भारी सरकारी दमन का सामना करना पड़ा. प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में लाखों आम नागिरक मारे गए और हजारों परिवार बेघर हो गए.
बशर के लिए साल 2011 सबसे अहम
यह साल बशर शासन काल के लिए सबसे अहम रहा. हालांकि, सरकार के विरोध में अलग-अलग सशस्त्र विद्रोही समूहों का गठन हो गया और सरकार का विरोध 2012 के बीच में विद्रोह गृह युद्ध में बदल गया. इस दौरान असद पर लगातार मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगते रहे हैं, जिनमें युद्ध के दौरान सीरिया में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल, कुर्दों का दमन और लोगों को जबरन गायब करना शामिल है.
रूस और ईरान को बड़ा झटका
असद रूस, ईरान और लेबनानी संगठन हिज्बुल्लाह की मदद से सालों तक विद्रोही गुटों का मुकाबला करते रहे, लेकिन पिछले दिनों अचानक एक्टिव हुए विद्रोही गुटों ने सीरियाई प्रेसिडेंट के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी. दरअसल, असद के तीनों अहम सहयोगी रूस, हिज्बुल्लाह और ईरान इसराइल खुद के संघर्षों में उलझे हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असद की सेना सालों से चल रहे जंग पक्ष में लड़ना भी नहीं चाहते थे. बावजूद इसके असद विद्रोहियों की मांग नहीं माने. अब असद की सत्ता का पतन हो गया है, जो रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है. इन देशों ने मीडिल ईस्ट में एक महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिया है.
सीरिया में विद्रोहियों संगठनों की क्या है मांगें?
सीरिया में विद्रोहियों की मांगें वक्त के साथ और अलग-अलग गुटों के मुताबिक बदलती रही हैं. हालांकि, इनमें से ज्यादातर संगठनों की मांग मांग है बशर अल-असद को शासन बेदखल करना है और एक नई सरकार गठन करना है.
“इस्लामी कानून” की स्थापना:
अल-जुलानी की अगुआई वाली सीरिया की सबसे ताकतवर संगठन HTS समेत ज्यादातर विद्रोही संगठनों की मांग सीरिया में “इस्लामी कानून” के तहत शासन की मांग.
लोकतांत्रिक सरकार:
वहीं, कई विद्रोही गुट लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार की स्थापना करना चाहते हैं और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की मांग कर रहे हैं.