इन तीन मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक का किया सपोर्ट; RSS विंग भी शामिल
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2439748

इन तीन मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक का किया सपोर्ट; RSS विंग भी शामिल

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर हंगामा जारी है. सरकार इसे लागू करने के लिए तर्क दे रही है तो वहीं मुस्लिम जानकार और विपक्षी सांसद इस विधेयक को पारित नहीं होने दे रहे हैं. ऐसे में तीन मुस्लिम संगठन ऐसे हैं जिन्होंने इस विधेयक लागू करने में अपनी रजामंदी जाहिर कर दी है.

इन तीन मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक का किया सपोर्ट;  RSS विंग भी शामिल

Waqf Amendment Bill: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन समेत तीन मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को संसदीय समिति के समक्ष वक्फ कानून में प्रस्तावित संशोधनों का सपोर्ट किया. हालांकि समिति की बैठक में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीं काउंसिल, RSS से जुड़ा संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और गैर सरकारी संगठन ‘भारत फर्स्ट’ ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति के सामने अलग-अलग अपनी प्रस्तुतियां दीं. कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनके दावों को लेकर प्रतिवाद किया.

दूसरे पक्ष को भी सुनें
सूत्रों का कहना है कि समिति में शिवसेना के सदस्य नरेश महस्के ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि उन्हें दूसरे पक्ष की बात सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए. इसके बाद राजग और विपक्ष के बीच थोड़ी देर के लिए नोकझोंक हुई. कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि क्या सूफी शाह मलंग संप्रदाय मुस्लिम समुदाय का हिस्सा है. समिति के सदस्य संबंधित शहरों में विभिन्न हितधारकों से मिलने के लिए 26 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु की यात्रा करने वाले हैं. 

दरगाह बोर्ड की मांग
समिति की लगातार बैठकों में विपक्षी सदस्यों ने कुछ सीमाएं निर्धारित कीं, जिससे यह साफ हो गया कि कानून के उपयोगकर्ता प्रावधान की तरफ से वक्फ को हटाना, जिला कलेक्टर की प्रमुख भूमिका, वक्फ न्यायाधिकरणों को समाप्त करना और वक्फ परिषदों में गैर-मुसलमानों को शामिल करना उन्हें स्वीकार्य नहीं होगा. अजमेर शरीफ दरगाह से संबंधित लोगों के संगठन ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीं काउंसिल (AISSC) ने विधेयक के तहत आगाखानी और बोहरा वक्फ के लिए दिए गए सुझावों के तरह एक अलग दरगाह बोर्ड की स्थापना की मांग की.

यह भी पढ़ें: Waqf Bill: मसमांदा मुस्लिम ने किया वक्फ बिल का सपोर्ट; भड़ उठे IMCR के चेयरमैन

मांगा स्पष्टीकरण
AISSC ने कहा कि दरगाह बोर्ड की स्थापना दरगाहों, मस्जिदों, खानकाहों, इमामबाड़ों और क़ब्रिस्तानों की संपत्तियों की सुरक्षा और सज्जादानशीं और मुत्तवल्लियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी है. AISSC ने उन खबरों पर भी समिति से स्पष्टीकरण मांगा, जिनमें कहा गया है कि विधेयक की धारा 3सी के तहत मस्जिदों, दरगाहों, खानकाहों, इमामबाड़ों और कब्रिस्तानों की संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा.

समिति की अध्यक्ष ने क्या कहा?
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने AISSC प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि विधेयक में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रतिनिधियों में तीन फकीर भी शामिल थे, जिन्होंने मांग की कि सूफी शाह मलंग समुदाय के लिए एक अलग वक्फ बोर्ड बनाया जाए. उन्होंने दावा किया कि इस संप्रदाय की 3.75 लाख से अधिक दरगाह/खानकाह/मजार देश भर में फैली हैं जिन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. भारत फर्स्ट एनजीओ ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को एक ऐतिहासिक कानून करार दिया.

Trending news