आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन के फैसले का OIC और हमास ने किया स्वागत, फिलिस्तीन से जुड़ा है मामला
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आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन के फैसले का OIC और हमास ने किया स्वागत, फिलिस्तीन से जुड़ा है मामला

Palestine News: स्पेन, नार्वे और आयरलैंड के पीएम ने आज यानी 22 मई को ऐलान किया है कि उनका मुल्क 28 मई से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देगा. इस बीच हमास और इस्लामिक सहयोग संगठन ने प्रतिक्रिया दी है. 

आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन के फैसले का OIC और हमास ने किया स्वागत, फिलिस्तीन से जुड़ा है मामला

Palestine News: आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने इसराइल को बड़ा झटका देते हुए फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया है. इसपर हमास ने प्रतिक्रिया दी है. इसके साथ ही  इस्लामिक सहयोग संगठन ने इस फैसले का स्वागत किया है. हमास ने इस फैसले को एक निर्णायक मोड़ बताया है. हमास के एक सीनियर लीडर बासेम नईम ने कहा, "यह फिलिस्तीनी लोगों के कड़े प्रतिरोध की वजह से संभव हो पाया है."

हमास के नेता ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, "फिलिस्तीन को लगातार मिल रहीं ये मान्यताएं फ़लस्तीनी लोगों के दृढ़ता और प्रतिरोध का परिणाम है. यह फैसला फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय हालात में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा."

OIC ने फैसले का किया स्वागत
वहीं, इस्लामिक सहयोग संगठन ने नार्वे, स्पेन और आयरलैंड के फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देने के फैसले का स्वागत किया है. OIC ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा, "यह इंटरनेशनल कानूनों के अनुरूप है और इससे फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को मजबूती मिलेगा.  इससे इंटरनेशनल स्तर पर फिलिस्तीन को देश के तौर पर बढ़ावा मिलेगा."

OIC ने आगे कहा, "वह इस तरह की कोशिशों की सराहना करता है, जो इसराइल के फिलिस्तीन पर कब्जे को खत्म करने के उद्देश्य को आगे बढ़ाते हैं." इसके साथ ही इस संगठन ने शांति और स्थिरता हासिल करने के उद्देश्य से दुनिया के उन सभी देशों से फिलिस्तीन को मान्यता देने की गुजारिश की है.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, स्पेन, नार्वे और आयरलैंड के पीएम ने आज यानी 22 मई को ऐलान किया है कि उनका मुल्क 28 मई से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देगा. इस बीच नार्वे के पीएम जोनस गार स्तूर ने कहा कि उनका देश फिलिस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता दे रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर मान्यता नहीं दी गयी तो पश्चिम एशिया में शांति स्थापित नहीं हो सकती.’’ 

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