अमेरिका में दूसरी बार नाइट्रोजन गैस से सजा-ए-मौत देने की तैयारी, जानें पहली दफा में क्या हुआ था

अलबामा में मौत की सजा पाए एक दोषी को नाइट्रोजन गैस सुंघाकर सजा की तामील करने की तैयारी की जा रही है. राज्य में मौत की सजा की तामील के लिए नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल करने का पहला मामला एक माह पहले ही सामने आया था और इस प्रक्रिया से मृत्युदंड देने की काफी अलोचना भी हुई थी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 22, 2024, 09:27 AM IST
  • जनवरी में पहली बार इस तरह दी गई थी सजा
  • नाइट्रोजन गैस से सजा देने का हो रहा विरोध
अमेरिका में दूसरी बार नाइट्रोजन गैस से सजा-ए-मौत देने की तैयारी, जानें पहली दफा में क्या हुआ था

नई दिल्लीः अलबामा में मौत की सजा पाए एक दोषी को नाइट्रोजन गैस सुंघाकर सजा की तामील करने की तैयारी की जा रही है. राज्य में मौत की सजा की तामील के लिए नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल करने का पहला मामला एक माह पहले ही सामने आया था और इस प्रक्रिया से मृत्युदंड देने की काफी अलोचना भी हुई थी. 

हत्या के दोषी को सजा देने की तैयारी
अलबामा के अटॉर्नी जनरल स्टीव मार्शल के कार्यालय ने बुधवार को अलबामा के उच्चतम न्यायायल से दोषी एलन यूजीन मिलर के लिए सजा की तारीख तय करने का अनुरोध किया. अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कहा कि मिलर को मौत की सजा नाइट्रोजन हाइपॉक्सिया के जरिए दी जाएगी. मिलर (59) को 1999 में बर्मिंघम में तीन लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया है. 

सजा के लिए तारीख तय करने का अनुरोध ऐसे वक्त में किया जा रहा है जब राज्य में इस तरीके से सजा-ए-मौत देने को लेकर अलग-अलग राय व्यक्त की जा रही हैं. 

जनवरी में पहली बार इस तरह दी गई थी सजा
दरअसल 25 जनवरी को पहली बार नाइट्रोजन गैस के जरिए केनेथ स्मिथ को मौत की सजा दी गई थी और वहां मौजूद लोगों का कहना था कि स्मिथ को कई मिनट तक झटके आते रहे और वह छटपटा रहा था. अटॉर्नी जनरल स्टीव मार्शल के कार्यालय ने कहा कि यह तरीका उपयुक्त है और कहा कि राज्य आगे भी मौत की सजा की तामील में नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल करेगा. 

नाइट्रोजन से सजा देने का हो रहा विरोध
उन्होंने स्मिथ को सजा दिए जाने के अगले दिन अन्य राज्यों को भी इस तरीके पर विचार करने का अनुरोध किया था, लेकिन मौत की सजा पाए एक अन्य दोषी की ओर से दायर वाद में नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल बंद करने का अनुरोध किया गया है. इसमें कहा गया कि मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि यह 'इंसान पर किए गए प्रयोग' जैसा था और इसे सफल नहीं माना जा सकता. 

इस याचिका में कहा गया, 'पहले मानव प्रयोग के नतीजे अब आ गए हैं और वे दर्शाते हैं कि नाइट्रोजन गैस से न तो जल्दी दम घुटता है और न ही यह प्रक्रिया दर्द रहित है बल्कि यह अधिक पीड़ादायक और दर्दनाक है.'

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