नई दिल्ली: इमरान खान को पाकिस्तान एक एक के बाद एक तगड़ा झटका लग रहा है. उनके करीबी सहयोगी शिरीन मजारी और फैयाजुल हसन चौहान ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) छोड़ने की घोषणा की है. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि 9 मई की हिंसा के बाद कई नेताओं का इससे अलग होते हुए देखा गया है. पाकिस्तान की पूर्व मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खानी की करीबी सहयोगी शिरीन मजारी ने पीटीआई छोड़ दी और समूचे पाकिस्तान में नौ मई को संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमला करने वाले खान के समर्थकों की कार्रवाई की निंदा की.
चार बार गिरफ्तार हो चुकी हैं शिरीन मजारी
शिरीन मजारी को 12 मई के बाद से चार बार गिरफ्तार किया जा चुका है और रिहा होने के बाद उन्होंने अपने इस्तीफे तथा सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्ति की घोषणा की. पुलिस ने नौ मई को हुई हिंसा के संबंध में उन्हें उनके आवास से पकड़कर जेल भेजा था. खान के शासन में वह 2018 से 2022 तक मानवाधिकार मंत्री रही थीं. उन्होंने नौ मई को खान की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि उन्होंने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में ऐसा ही हलफनामा दिया है.
उन्होंने कहा, 'न सिर्फ नौ और 10 मई की हिंसा बल्कि मैंने हमेशा हर तरह की हिंसा खासकर सरकारी प्रतिष्ठानों और जनरल मुख्यालय, उच्चतम न्यायालय एवं संसद जैसे प्रतीकों के खिलाफ हिंसा की निंदा की है.' इसके बाद उन्होंने खान की पार्टी पीटीआई को छोड़ने के साथ साथ सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के अपने फैसले की घोषणा की. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का उनके स्वास्थ्य और परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा, 'आज से मैं पीटीआई का हिस्सा नहीं हूं, न ही सक्रिय राजनीति में शामिल हूं क्योंकि मेरे लिए प्राथमिकता मेरा परिवार, मेरी माता और बच्चे हैं.'
पार्टी छोड़ते वक्त शिरीन ने क्या कुछ कहा?
शिरीन मजारी ने कहा, मैं 9 मई की हिंसा की कड़ी निंदा करती हूं. मैंने हमेशा किसी भी तरह की हिंसा की निंदा की है. मजारी ने कहा कि वह न सिर्फ पार्टी, बल्कि राजनीति भी छोड़ रही हैं. उन्होंने कहा, आज से मैं किसी भी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं हूं. पीटीआई के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि हिरासत के पिछले 12 दिनों के दौरान उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया. उन्होंने कहा, मेरे बच्चे और माता-पिता अब मेरी प्राथमिकता हैं. मैं जीएचक्यू, संसद और सुप्रीम कोर्ट जैसे राज्य प्रतीकों के खिलाफ हिंसा की निंदा करती हूं.
मजारी ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि उनकी बेटी इमान मजारी को बार-बार गिरफ्तार किए जाने के कारण कठिन समय से गुजरना पड़ा. उन्होंने कहा, जब मुझे तीसरी बार जेल ले जाया गया तो मेरी बेटी बहुत रो रही थी, मैंने उसका वीडियो देखा.
पीटीआई के कई दिग्गज लगातार छोड़ रहे पार्टी
इमरान खान की पार्टी के कई नेताओं और सांसदों, जिनमें आमिर महमूद कियानी, मलिक अमीन असलम, महमूद मौलवी और आफताब सिद्दीकी शामिल हैं, ने राज्य के प्रतिष्ठानों पर हमलों की सार्वजनिक रूप से निंदा की और 9 मई की तोड़फोड़ के बाद से पूर्व सत्ताधारी पार्टी छोड़ने की घोषणा की. प्रदर्शन के बाद मजारी समेत कम से कम 13 नेताओं को सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने के अध्यादेश के तहत गिरफ्तार किया गया था. कई बार उन्हें अदालत से जमानत मिली लेकिन हर बार रिहा होने के तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. कानूनी प्रक्रियाओं का सामना कर रहे कई पीटीआई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं.
इमरान से अलग होने के मजारी के फैसले को पार्टी के लिए बड़ा राजनीतिक नुकसान माना जा रहा है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने बताया कि 9 मई की आगजनी की घटना के बाद पार्टी से अलग होने वाले पीटीआई नेताओं की संख्या बढ़कर अब 24 तक पहुंच गई है. मजारी की तरह पीटीआई से अलग होने वाले खानेवल से प्रांतीय विधानसभा के पूर्व पीटीआई सदस्य अब्दुल रजाक खान नियाजी ने एक संवाददाता सम्मेलन में सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों की निंदा की और सुझाव दिया कि पार्टी नेतृत्व के समर्थन के बिना ऐसी कार्रवाई नहीं हो सकती थी.
इमरान खान ने मजारी की गिरफ्तारी पर कही थी ये बात
अदालत द्वारा मजारी की रिहाई के आदेश जारी किए जाने के बाद इमरान खान ने अदियाला के बाहर से मजारी की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. इमरान खान ने ट्वीट किया, 'यह शासन नए निचले स्तर पर जा रहा है. उनका स्वास्थ्य नाजुक है और अदालत द्वारा उन्हें जमानत दिए जाने के बावजूद उन्हें फिर से गिरफ्तार करना और इस कठिन परीक्षा से गुजारना केवल उनकी आत्मा को चोट पहुंचाने की कोशिश है.'
उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए लिखा, 'शिरीन टूटेंगी नहीं, क्योंकि मेरे जीवन में जितने भी लोग मिले हैं, उन सभी में से शिरीन में अधिक साहस है. हालांकि, देश तेजी से ‘बनाना रिपब्लिक’ (राजनीतिक और आर्थिक रूप से अस्थिर देश) बनने की ओर बढ़ रहा है, जहां ताकत का राज होता है.' इस बीच, पत्रकारों सहित नागरिक संस्था ने मजारी के फैसले पर निराशा व्यक्त की और ‘जियो न्यूज’ के एंकर हामिद मीर ने उनकी सेवानिवृत्ति को लोकतंत्र और मानवाधिकार सक्रियता के लिए 'भारी क्षति' करार दिया. उनकी बेटी इमान मजारी-हाजिर ने अदालत के आदेश के बाद मीडियाकर्मियों से कहा था कि 'सरकार को सोचना चाहिए और इस तरह से घरों को तबाह नहीं करना चाहिए.'
(इनपुट- भाषा)
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