मुस्लिम देशों का 'मुंबइया ठेकेदार', सुर्ख़ियों में रज़ा एकेडमी का बड़बोलापन

मुंबई की रज़ा एकेडमी ने मुस्लिम देशों से फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ फतवा जारी करने की अपील की है. एक पेज की अपील जारी कर रज़ा एकेडमी फिर चर्चा में आ गई है. विवादों से इसका पूरा नाता रहा है.  

Written by - Amit Kumar | Last Updated : Oct 27, 2020, 08:16 AM IST
  • मुंबई के मुस्लिम संगठन की ज़ुबानदराजी
  • फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ की बयानबाजी
  • विवादित है रजा संगठनका इतिहास
मुस्लिम देशों का 'मुंबइया ठेकेदार', सुर्ख़ियों में रज़ा एकेडमी का बड़बोलापन

मुंबई: रज़ा एकेडमी का आरोप है कि फ्रांस के राष्ट्रपति (French President) एक साज़िश के तहत इस्लाम (Islam) और उसके पैगंबर (Mohammed) का लगातार अपमान कर रहे हैं.

औकात के बाहर जाकर रजा एकेडमी ने दिया बयान
रजा एकेडमी (Raza academy) दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में एक फ्रांस के राष्ट्रपति को सबक सिखाना चाहता है. इसके लिए रजा एकेडमी ने मांग की है कि दुनिया भर के इस्लामी देशों को मिलकर फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ फतवा जारी कर के सबक सिखाना चाहिए.

 फाउंडेशन ने अपील वाली इस चिट्ठी में लिखा है कि '' फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां की रणनीति से साफ दिख रहा है कि उनकी कोशिश इस्लाम को बदनाम करने और फ्रांस में रहने वाले मुसलमानों के खिलाफ भय का माहौल पैदा करने की है . विवादित कार्टून को फ्रांस के राष्ट्रपति के आदेश से फिर से प्रकाशित करना अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर एक घृणित षडयंत्र है. इसका मकसद पूरी दुनिया में अलग-अलग समाज के बीच सामाजिक, वैचारिक और धार्मिक स्तर पर खूनी वैचारिक टकराव पैदा करना है. इसलिए ऐसे शख्स को रोकने की जरूरत है. ''

अपनी बातों पर कायम हैं इमैनुएल मैक्रां
फ्रांस में पैगंबर के कार्टून विवाद में 16 अक्टूबर को एक टीचर का सिर कलम कर दिया गया था. एक मुस्लिम कट्टरपंथी ने इसे अंजाम दिया था. इसके बाद पूरे फ्रांस में इस्लामी कट्टरंपथियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क गया.  इसके बाद फ्रांस के शहरों की दीवारों पर अखबार शार्ली हेब्दो में प्रकाशित पैगंबर के वे पुराने कार्टून दिखाए गए. जिसकी वजह से पहले ही काफी विवाद हो चुका है.  फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी करार दिया और वो अब भी अपनी बातों पर कायम हैं.

फ्रांस से जुड़ी हर चीज़ के बहिष्कार की अपील
रज़ा एकेडमी ने इसके विरोध में दुनिया के तमाम मुस्लिम देशों से अपील की है कि वे फ्रांस से जुड़ी हर चीज़ का बहिष्कार कर दें. रजा एकेडमी ने दुनिया भर के मुस्लिम देशों से तब तक फ्रांस के दूतावास को बंद करने की अपील की है जब तक कि इमैनुएल मैक्रां अपने बयान पर माफी ना मांग लें. फाउंडेशन ने माफी मांगे जाने तक मुस्लिम देशों से..फ्रांस से अपने राजदूतों को वापस बुला लेने की भी अपील की है. इस चिट्ठी के आखिर में लिखा गया है कि हम आशा करते हैं कि पवित्र पैगंबर के प्रति प्यार को सारे मुस्लिम देश दूसरी तमाम बातों से ऊपर रखेंगे.

रज़ा एकेडमी का विवादित इतिहास
रज़ा एकेडमी सुन्नी मुसलमानों से जुड़ा संगठन है. 1978 में इसकी स्थापना मुंबई में हुई थी. इसका मकसद बरेलवी मुस्लिम समुदाय की विचारधारा को आगे बढ़ाना है. 


- 1988 में लेखक सलमान रश्दी की किताब सैटेनिक वर्सेस पर रोक की मांग को लेकर इसने फतवा जारी किया था. जिस पर हुए विवाद की वजह से ये संगठन सबसे पहले चर्चा में आया .

- 1992 में भारत और इजरायल के बीच हुए कूटनीतिक समझौते का भी इसने विरोध कर मुंबई में मार्च निकाला था.

- रज़ा एकेडमी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शनों को लेकर भी विवादों में रहा.

आज़ाद मैदान शहीदों के अपमान का आरोपी संगठन
अगस्त 2012 में रज़ा एकेडमी तब विवादों का सबब बना. जब इसका नाम मुंबई के आज़ाद मैदान में हुए दंगे में आया. तब असम और म्यांमार में मुसलमानों पर हुए कथित हमलों का मुद्दा बनाकर इसने दो दूसरे संगठनों के साथ मिलकर मुंबई में बड़ा प्रदर्शन किया था.  जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे. ये प्रदर्शन बाद में हिंसक हो गया और मुंबई के आज़ाद मैदान में बड़े पैमाने पर दंगाइयों ने उत्पात मचाया था. इसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 50 लोग जख्मी हुए थे. आज़ाद मैदान के बवाल के दौरान दंगाइयों ने अमर जवान ज्योति स्मारक को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था. तब की तस्वीर बेहद चर्चा में रही थी.  

पिछले साल सीएए और एनआरसी के विरोध में हुए आंदोलन का भी इसने समर्थन किया था. इसके कुछ  लोग अपने भड़काऊ बयानों की वजह से चर्चा में रहे थे. 

ये भी पढ़ें-- फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ मुस्लिम देशों की मुहिम 

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