नई दिल्ली: Awadhesh Prasad: 'अयोध्या से लाए हैं उनके प्रेम का पैगाम, जो सच्चे मन से करते हैं सबका कल्याण, सदियों में जन-जन गाता है जिनके गान, अभयदान देती जिनकी मंद-मंद मुस्कान, मानवता के लिए उठता जिनका तीर-कमान, जो असत्य पर सत्य की जीत का है नाम, उफनती नदी पर जो बांधे मर्यादा के बांध, वो है अवध के राजा पुरुषोत्तम प्रभु राम, हम अयोध्या से लाए हैं उनके प्रेम का पैगाम' ये शायरी अखिलेश यादव ने संसद में पढ़ी. इस दौरान वे फैजाबाद (अयोध्या) से जीतकर आए सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बगल में खड़े थे. अखिलेश ने जैसे ही इस शायरी को पढ़ना शुरू किया, अवधेश प्रसाद खड़े हुए और हाथ जोड़कर अभिवादन किया. ठीक इसी मुद्रा में अवधेश प्रसाद सोमवार को भी थे, जब नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अपने स्पीच में अवधेश प्रसाद की ओर इशार करते हुए कहा कि अयोध्या ने संदेश दिया है.
ममता ने आगे किया अवधेश का नाम
सत्ताधारी दल भाजपा को संसद में चिढ़ाने के लिए गाहे-बगाहे विपक्ष के नेता अयोध्या की हार जिक्र कर देते हैं, या सिर्फ अवधेश प्रसाद की ओर इशारा कर देते हैं. इतना करने भर से ही विपक्ष की ओर से सत्तापक्ष को बड़ा संदेश चला जाता है. लेकिन क्या हो अगर अवधेश प्रसाद आसन पर विराजमान हों? आपका पता नहीं, लेकिन विपक्ष को खूब मौज आएगी. यही कारण है कि सपा सांसद अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने की कवायद में जुटा हुआ है. सूत्रों ने दावा किया है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की है. ममता ने 78 वर्षीय अवधेश प्रसाद का नाम सुझाया है. इसके बाद से ही सारा विपक्ष गदगद है.
अवधेश प्रसाद को ही डिप्टी स्पीकर क्यों बनना चाह रहे?
1. एकजुट विपक्ष: हाल ही में स्पीकर पद के चुनाव के लिए कांग्रेस ने के सुरेश को विपक्ष का उम्मीदवार बनाया था. लेकिन सूत्रों ने दावा किया कि ममता बनर्जी उनके नाम पर राजी नहीं हैं. लेकिन डिप्टी स्पीकर के लिए ममता ने खुद अवधेश प्रसाद का नाम आगे किया है. अवधेश प्रसाद को विपक्ष प्राइज कैच के तौर पर देख रहा है. अवधेश न सिर्फ वरिष्ठ हैं, बल्कि अयोध्या जीतकर उन्होंने पूरे देश में लाइमलाइट पाई है.
2. धर्म की राजनीति के खिलाफ संदेश: जब से भाजपा का गठन हुआ है, राम मंदिर का निर्माण उनके घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है. अब 2024 में इसका निर्माण हो गया है. भाजपा ने राम मंदिर निर्माण को लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया. लेकिन जिस अयोध्या में मंदिर बन रहा है, उसी संसदीय क्षेत्र में भाजपा की हार हुई. अब अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाकर विपक्ष पूरे देश में धर्म की राजनीति के खिलाफ संदेश देना चाहता है.
3. दलित वोट बैंक पर नजर: अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाकर विपक्ष दलित वोट बैंक को साधना चाह रहा है. खासकर, अखिलेश यादव को इससे बड़ा फायदा हो सकता है. सपा-कांग्रेस के गठबंधन को इस बार बसपा के पारंपरिक वोटर ने भी वोट किया है. अखिलेश नहीं चाहते कि ये लौटकर बसपा के पाले में जाए. इसलिए वे आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए दलित वोटों को अपने साथ बांधे रखना चाहते हैं.
4. भाजपा होगी मजबूर: विपक्ष मानना है कि अवधेश प्रसाद के नाम पर सत्तापक्ष भी आपत्ति नहीं जता सकता. अवधेश प्रसाद की साफ़-सुथरी छवि रही है, वे वरिष्ठ नेता हैं और दलित समुदाय से आते हैं. आरक्षण के मुद्दे पर दलित वोटर पहले से ही भाजपा से खफा हैं, ऐसे में पार्टी नहीं चाहेगी कि अवधेश प्रसाद के नाम का विरोध करके दलितों की और खिलाफत मोल ली जाए.
5. ताकत दिखाने का मौका: यदि विपक्ष अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने में कामयाब हो जाता है तो ये उनकी बड़ी जीत मानी जाएगी. जिस तरह रोहित शर्मा ने T20 वर्ल्ड कप जीतकर ट्रॉफी हासिल की. ठीक उसी तरह विपक्ष के लिए चुनावी मैदान में अवधेश प्रसाद की जीत एक उपलब्धि है. अब वे इस उपलब्धि की ब्रांडिंग करना चाह रहे हैं. इसके लिए अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने से बेहतर विकल्प क्या ही हो सकता है. इसके जरिये INDIA गठबंधन अपनी ताकत की नुमाइश करना चाहता है.
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