कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने की जरूरत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान दिखाने की जरूरत नहीं है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 22, 2024, 01:44 PM IST
  • कोर्ट ने यूपी, एमपी, उत्तराखंड को दिया नोटिस
  • महुआ मोइत्रा ने अदालत में दायर की है याचिका
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने की जरूरत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान दिखाने की जरूरत नहीं है.

यूपी-उत्तराखंड सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को उन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया, जिसमें उनके उस निर्देश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को मालिकों के नाम डालने के लिए कहा गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने उनसे प्रतिक्रिया मांगी और मामले को 26 जुलाई को सुनवाई के लिए पोस्ट किया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि खाद्य विक्रेताओं को मालिकों, नियोजित कर्मचारियों के नाम परोसने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.

महुआ मोइत्रा ने किया कोर्ट का रुख

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसमें कहा गया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे. मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ से कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए 'परोक्ष' आदेश पारित किए गए हैं. 

यह पहचान के आधार पर बहिष्कारः सिंघवी

इसके बाद पीठ ने सिंघवी से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने भोजनालय मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में कोई औपचारिक आदेश दिया है. पीठ ने कहा, 'क्या राज्य सरकारों ने कोई औपचारिक आदेश पारित किया है?' सिंघवी ने कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का आदेश 'पहचान के आधार पर बहिष्कार' है और यह संविधान के खिलाफ है. इस मामले की सुनवाई जारी है.

क्या कहा गया है याचिका में

मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों राज्य सरकारों की ओर से जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार तथा उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है.

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