नमामि गंगे की मुख्यधारा से जुड़ी परियोजनाएं लगभग पूरी, 1 साल में हुआ सर्वाधिक काम: जलशक्ति मंत्री

शेखावत ने एक साक्षात्कार में कहा, 'गंगा में प्रदूषण के निस्तारण से संबंधित मुख्यधारा की अधिकांश परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और अब बेसिन आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर काम किया जा रहा है.'

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 30, 2023, 07:32 PM IST
  • जलशक्ति मंत्री ने दी जानकारी.
  • बीते साल हुआ है रिकॉर्ड काम.
नमामि गंगे की मुख्यधारा से जुड़ी परियोजनाएं लगभग पूरी, 1 साल में हुआ सर्वाधिक काम: जलशक्ति मंत्री

नई दिल्ली. गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने के लिए अस्तित्व में आए नमामि गंगे कार्यक्रम की सुस्त रफ्तार की आलोचनाओं को नकारते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दावा किया है पिछले एक साल में सर्वाधिक काम हुआ है और नमामि गंगे की मुख्यधारा से जुड़ी परियोजनाएं लगभग पूरी हो गई हैं. शेखावत ने एक साक्षात्कार में कहा, 'गंगा में प्रदूषण के निस्तारण से संबंधित मुख्यधारा की अधिकांश परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और अब बेसिन आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर काम किया जा रहा है.'

प्रोजेक्ट के बारे में दी जानकारी
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार अब श्रेणी-1, श्रेणी-2 और श्रेणी-3 की सहायक नदियों पर जरूरत के मुताबिक प्रदूषण निस्तारण एवं जलमल शोधन संबंधी आधारभूत ढांचे के विकास पर काम किया जा रहा है. नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के पूरी होने की धीमी रफ्तार के बारे में जल शक्ति मंत्री ने कहा कि 1985 से 2014 तक करीब 30 वर्षों में चार हजार करोड़ रुपये खर्च करके जितनी जलमल शोधन क्षमता सृजित की गई, उससे कहीं अधिक क्षमता नमामि गंगे परियोजना के तहत 2014 से 2022 तक आठ वर्ष के दौरान विकसित की गई.

2022-23 में हुआ रिकॉर्ड काम
उन्होंने दावा किया, '1985 से 2014 के बीच और 2014 से 2022 के दौरान जितनी जलमल शोधन क्षमता सृजित हुई, उतनी क्षमता केवल एक साल में 2022-23 के दौरान विकसित की गई.' शेखावत ने कहा कि परियोजना पर ठीक ढंग से काम हो रहा है और यह समझना होगा कि वर्ष 2015 में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू होने के बाद अगले दो वर्ष नदी में प्रदूषण के स्तर का आकलन करने, इसके निस्तारण के लिए जरूरी कदमों की पहचान करने और आ‍वश्यक नीतियां बनाने में लग गए.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'गंगा की निर्मलता का कार्य वास्तव में वर्ष 2017 से शुरू हुआ। यह एक व्यापक कार्य है, क्योंकि गंगा 2,600 किलोमीटर में प्रवाहित होती है और इसके तटों पर कई शहर और करीब चार हजार गांव बसे हुए हैं.' राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2023 तक नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुल 428 परियोजनाएं मंजूरी की गईं, जिनकी लागत कुल 36,512 करोड़ रुपये है. इनमें से 244 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं, 130 में कार्य प्रगति पर है और 37 परियोजनाएं निविदा के स्तर पर हैं.

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