Sonam Wanguchak: किन मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं सोनम वांगचुक? जानें

Sonam Wanguchak: लद्दाख के फेमस क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगुचक ने 6 मार्च से #saveladakh, #savehimalayas कैंपेन की शुरुआत की है. इस कैंपेन के तहत सोनम वांगुचक ने 21 दिनों के आमरण अनशन की शुरुआत की है. अभी तक इस अनशन को शुरू हुए 13 दिन बीत चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो सोनम वांगुचक के साथ सोमवार को करीब-करीब 1500 स्थानीय लोग एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Mar 19, 2024, 10:53 AM IST
  • 'छठी अनुसूची भारत की उदारता की पहचान'
  • 370 हटने के बाद लद्दाख को बना केंद्र शासित प्रदेश
Sonam Wanguchak: किन मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं सोनम वांगचुक? जानें

नई दिल्लीः Sonam Wanguchak: लद्दाख के फेमस क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगुचक ने 6 मार्च से #saveladakh, #savehimalayas कैंपेन की शुरुआत की है. इस कैंपेन के तहत सोनम वांगुचक ने 21 दिनों के आमरण अनशन की शुरुआत की है. अभी तक इस अनशन को शुरू हुए 13 दिन बीत चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो सोनम वांगुचक के साथ सोमवार को करीब-करीब 1500 स्थानीय लोग एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे. 

अनशन का वीडियो हो रहा है वायरल 
इस अनशन का एक वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में सोनम वांगुचक ने बताया है कि कैसे करीब-करीब 250 लोग उनके समर्थन में रात को भूखे सोए. दरअसल, सोनम वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. अनुसूची छः में लद्दाख के शामिल होने के बाद प्रदेश के स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार मिलेगा. 

'छठी अनुसूची भारत की उदारता की पहचान'
इस मुद्दे पर बात करते हुए सोनम वांगुचक ने कहा कि जब विविधता में एकता की बात आती है, तो संविधान की छठी अनुसूची भारत की उदारता का प्रमाण है. यह महान राष्ट्र न सिर्फ विविधता को सहन करता है, बल्कि उसे प्रोत्साहित भी करता है. हमारा यह अनशन जरूरत पड़ने पर आगे भी बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि छठी अनुसूची का मकसद सिर्फ बाहरी लोगों को ही रोकना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी संवेदनशील इलाके या संस्कृतियां-जनजातियां सभी को स्थानीय लोगों से भी बचाने की जरूरत है. 

370 हटने के बाद लद्दाख को बना केंद्र शासित प्रदेश 
बता दें कि कश्मीर से धारा 370 खत्म करने के बाद लद्दाख को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. लिहाजा जम्मू-कश्मीर के तरह यहां पर कोई स्थानीय काउंसिल नहीं है. वहीं, अनुसूची छः में लद्दाख के शामिल हो जाने के बाद यहां के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदें बना सकेंगे. 

इसके अलावा लद्दाख के लोगों की केंद्रीय स्तर पर लोकसभा में दो सीटें और राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व की मांग है. भारतीय संविधान में पूर्वोत्तर के चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को छठी अनुसूची में रखा गया है. इससे यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय को विशेष सुरक्षा मिलती है. 

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