Kargil War Story: पाक के 48 सैनिक मारे, मेजर की गर्दन काटी... पढ़ें सैनिक दिगेंद्र कुमार की बहादुरी का किस्सा

Kargil war Hero: कारगिल युद्ध में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को चारों खाने चित करते हुए मात दी थी. इस युद्ध में भारत के जाबाज और बहादुर सैनिकों की चर्चे आज भी हैं. पढ़ें बहादुर, निडर सैनिक कोबरा दिगेंद्र कुमार के किस्से...

Written by - Ansh Raj | Last Updated : Jul 26, 2024, 08:58 AM IST
  • पाक मेजर की काट डाली थी गर्दन
  • 48 सैनिकों को उतारा था मौत के घाट
Kargil War Story: पाक के 48 सैनिक मारे, मेजर की गर्दन काटी... पढ़ें सैनिक दिगेंद्र कुमार की बहादुरी का किस्सा

नई दिल्ली, Kargil vijay Diwas 2024: कारगिल युद्ध में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को चारों खाने चित करते हुए मात दी थी. इस युद्ध में भारत के जाबाज और बहादुर सैनिकों की चर्चे आज भी हैं. आज हम आपको कारगिल युद्ध के दौरान बहादुरी का परिचय देते हुए 48 पाकिस्तानी सैनिकों और मेजर को मौत के घाट उतारने वाले होनहार, निडर और साहसी नायक कोबरा दिगेंद्र कुमार के बारे में बताएंगे, जो आपको प्रेरित करेंगी और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर देंगी. तो आइए जानते हैं विस्तार से...

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बहादुर योद्धा दिगेंद्र कुमार
कोबरा दिगेंद्र कुमार को मात्र 30 साल की उम्र में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने गैलेंट्री अवॉर्ड महावीर चक्र से नवाजा था. यह दुनिया का सबसे बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड है. कर्गिन युद्ध के दौरान कोबरा दिगेंद्र कुमार ने अपनी बटालियन की मदद से 48 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. 

काट डाली थी पाक मेजर की गर्दन
इतना ही नहीं तोलोलिंग की चोटी पर पुन: हिंदुस्तान का झंडा लहराने की नीयत से आगे बढ़े. इस दौरान उन्हें पाकिस्तानी फौज ने कारीब पांच गोलियां मारी, लेकिन यह गोलियां भी कोबरा दिगेंद्र कुमार को रोक नहीं सकती. उनके निडर, साहसी हौंसलों के आगे पाक सेना की एक न चली और उन्होंने आगे बढ़ते हुए न केवल  तोलोलिंग की चोटी फतह की, बल्कि पाकिस्तानी मेजर का सिर धड़ से अलग कर इस पोस्ट पर 13 जून को भारत का तिरंगा फहराया.

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पिता के जबड़े में लगी थी 11 गोलियां
कोबरा दिगेंद्र कुमार का जन्म राजस्थान जिले के सीकर शहर में हुआ था. उनके पिता शिवदान सिंह भारतीय सेना के वीर योद्धा रहे हैं. 1947-48 के युद्ध में कोबरा दिगेंद्र कुमार के पिता को शिवदान सिंह को जबड़े में करीब 11 गोलियां लगी थीं. यह सब देख दिगेंद्र कुमार का गुस्सा और भी ज्यादा खतरनाक हो गया था और उन्होंने इस गुस्से को बदला लेने के लिए खुद को काबिल बनाया और इसके बाद दिगेंद्र कुमार 2 राजपूताना राइफल्स में भर्ती होकर देश की सेवा करने लगे.

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