Union Budget: इन 10 शब्दों को समझते ही बजट हो जाएगा बच्चों का खेल, किसी को भी सिखा देंगे पूरा हिसाब-किताब

बजट के दौरान ऐसे कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिसे समझ पाना पढ़े-लिखे लोगों के लिए भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं बजट में प्रयुक्त होने वाले 10 कठिन शब्दों के बारे में, जिन्हें जान आप बजट को बहुत आसानी से समझ सकते हैं. साथ ही किसी दूसरे को भी समझा सकते हैं. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Jul 22, 2024, 12:50 PM IST
  • कठिन शब्दों का होता है इस्तेमाल
  • बजट में प्रयुक्त होने वाले 10 शब्द
Union Budget: इन 10 शब्दों को समझते ही बजट हो जाएगा बच्चों का खेल, किसी को भी सिखा देंगे पूरा हिसाब-किताब

नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार 23 जुलाई को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. बतौर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह सातवां बजट होगा. इसी के साथ निर्मला सीतारमण सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री बन जाएंगी. बजट को लेकर देश की पूरी जनता कई तरह के उम्मीद लगाए बैठी है. 

कठिन शब्दों का होता है इस्तेमाल 
बजट के दौरान ऐसे कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिसे समझ पाना पढ़े-लिखे लोगों के लिए भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं बजट में प्रयुक्त होने वाले 10 कठिन शब्दों के बारे में, जिन्हें जान आप बजट को बहुत आसानी से समझ सकते हैं. साथ ही किसी दूसरे को भी समझा सकते हैं. 

बजट में प्रयुक्त होने वाले 10 शब्द 
1. राजकोषीय घाटा/वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा (Fiscal-Revenue Deficit):
किसी भी एक वित्त वर्ष में जब सरकार की कमाई उनके द्वारा खर्च किए गए पैसों से कम होती है, तो उसे हम सभी राजकोषीय घाटा के रूप में जानते हैं. कुल मिलाकर सरकार की कुल आय और व्यय के अंतर को हम सभी राजकोषीय घाटा के रूप में जानते हैं. 

2. वित्त वर्ष (Financial Year): आम तौर पर हम सभी के लिए साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती है और समाप्ति 31 दिसंबर को होती है. ठीक ऐसे ही वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है और समाप्ति 31 मार्च को होती है. 

3. फिस्कल पॉलिसी (Fiscal Policy): इसे राजकोषीय नीति भी कहा जाता है. देश में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सरकार अधिक खर्च को नियंत्रित या टैक्स में कटौती करती है. इस नीति का मकसद उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसे डालना है. उपभोक्ताओं के हाथों में ज्यादा पैसे आते हैं तो वे अधिक खर्च करते हैं. इससे आर्थिक विकास का पहिया तेजी से घूमता है. 

4. आपात निधि (Contingency Fund): यह एक ऐसा फंड होता है, जिसे आपात स्थिति में निपटने के लिए तैयार किया जाता है. सरकार इस फंड का इस्तेमाल आपात स्थितियों में करती है. इस फंड से पैसा निकालने से पहले सरकार को संसद से मंजूरी लेनी होती है. 

5. ब्लू शीटः ब्यू शीट बजट से जुड़े जरूरी दस्तावेजों और उससे जुड़े जरूरी आंकड़ों की एक नीले रंग की सीक्रेट शीट होती है. इसे बजट प्रक्रिया का बैकबोन भी कहा जाता है. बजट प्रकाशित होने तक इसे बहुत सीक्रेट तरीके से रखा जाता है. 

6. कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure): यह ऐसा खर्च होता है, जिससे सरकार की कमाई होती है. इस तरह के खर्च सरकार जमीन खरीदने, स्कूल-कॉलेज या बिल्डिंग बनाने, सड़क, अस्पताल इत्यादि चीजों को बनाने में खर्च करती है. 

7. चालू खाता घाटाः जब देश में आयात हो रहे चीजों की संख्या या मात्रा निर्यात हो रहे चीजों से अधिक हो जाती है, तब देश में चालू खाता घाटा की स्थिति पैदा हो जाती है. कुल मिलाकर देश में आयात हो रही चीजों की लागत और निर्यात पर हुई कमाई के अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है. 

8. बजट आकलनः देश की संसद में जब वित्त मंत्री द्वारा बजट पर भाषण दिया जाता है, तो वे अपने भाषण में विभिन्न तरह के कर और शुल्क से होने वाली आमदनी और खर्च का लेखा जोखा पेश करती हैं. इसे ही आमतौर पर हम सभी बजट आकलन के रूप में जानते हैं. 

9. वित्त विधेयकः इस विधेयक के जरिए वित्त मंत्री सरकारी आमदनी में बढ़ोतरी लाने के नए विचारों और कर इत्यादि में सुधार का प्रस्ताव पेश करती हैं. संसद की मंजूरी मिलने के बाद इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाता है. 

10. गैर योजना खर्चः इस तरह के खर्च में ब्याज की अदायगी, रक्षा, सब्सिडी, डाक घाटा, पुलिस, पेंशन, आर्थिक सेवाएं, सार्वजनिक उपक्रमों को दिए जाने वाले कर्ज और राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले कर्ज शामिल होते हैं. 

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