Bipin Rawat Birth Anniversary: जब पाक की गोलाबारी में बिपिन रावत का टखना हो गया था चकनाचूर, बैसाखी के सहारे चलते थे

Bipin Rawat Birth Anniversary: भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत की आज जयंती है. देश के सेनाध्यक्ष भी रह चुके जनरल बिपिन रावत की 8 दिसंबर 2022 को हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. बिपिन रावत का जन्म 1958 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था. उनके पिता और दादा भी सेना में थे. दिसंबर 1978 में 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में बिपिन रावत को नियुक्ति मिली थी. बिपिन रावत ने चार दशकों तक भारतीय सेना में काम किया और सेना के सर्वोच्च पद पर पहुंचे. आज उनकी जयंती पर जानिए वो किस्सा, जब वह पाकिस्तानी गोलाबारी में घायल हो गए थे.

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Mar 16, 2023, 09:31 AM IST
  • श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल में हुआ था इलाज
  • बैसाखी की मदद से दोबारा शुरू किया चलना
Bipin Rawat Birth Anniversary: जब पाक की गोलाबारी में बिपिन रावत का टखना हो गया था चकनाचूर, बैसाखी के सहारे चलते थे

नई दिल्लीः Bipin Rawat Birth Anniversary: भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत की आज जयंती है. देश के सेनाध्यक्ष भी रह चुके जनरल बिपिन रावत की 8 दिसंबर 2022 को हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. बिपिन रावत का जन्म 1958 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था. उनके पिता और दादा भी सेना में थे. दिसंबर 1978 में 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में बिपिन रावत को नियुक्ति मिली थी. बिपिन रावत ने चार दशकों तक भारतीय सेना में काम किया और सेना के सर्वोच्च पद पर पहुंचे. आज उनकी जयंती पर जानिए वो किस्सा, जब वह पाकिस्तानी गोलाबारी में घायल हो गए थे.

टखने में गोली और हाथ में लगे थे छर्रे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बिपिन रावत ने एक बार अपना अनुभव साझा किया था. उन्होंने बताया था कि वह साल 1993 में 5/11 गोरखा राइफल्स में मेजर थे. तभी वह 17 मई को कश्मीर के उरी में गश्त के दौरान पाकिस्तान की गोलाबारी की चपेट में आ गए थे. इस गोलाबारी में उनके पैर के टखने में गोली लगी थी, जबकि हाथ में छर्रे लगे थे. तब उनकी उम्र 35 साल थी. 

श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल में हुआ था इलाज
गनीमत थी कि बिपिन रावत ने कैनवस एंकलेट पहना था. यह गोली की रफ्तार को झेल पाने में कामयाब रहा, लेकिन उनका टखना फिर भी चकनाचूर हो गया. उन्हें फौरन श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां उनके टखने और हाथ को दोबारा से ठीक किया गया.  

बैसाखी की मदद से दोबारा शुरू किया चलना
उन्होंने बताया था कि लोगों ने उनसे कहा था कि सेना में उनका करियर खत्म हो चुका है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. एक महीने की बीमारी की छुट्टी ली. धीरे-धीरे बैसाखी की मदद से चलना शुरू किया. इसके बाद उन्हें रेजिमेंटल सेंटर लखनऊ में तैनाती मिली. फिर उनके उरी में यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर ने कहा था कि अगर मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच की मंजूरी हो तो वह बिपिन रावत को फिर से यूनिट में रखने के लिए तैयार हैं.

इस बारे में बिपिन रावत ने बताया था कि गोली लगने के बाद एक युवा सैन्य अधिकारी के तौर पर उन्हें चिंता थी कि उन्हें मध्य प्रदेश के महू में अपनी सीनियर कमान कोर्स में शामिल होने से वंचित न रहना पड़े. दरअसल, सेना में प्रमोशन के लिए हायर कमान कोर्स के लिए जरूरी है.

यह भी पढ़िएः AIIMS में पहली बार गर्भ में ही की गई भ्रूण की सर्जरी, पीएम ने दी डॉक्टरों को बधाई

 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़