नई दिल्ली: कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब बैन को लेकर दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बंटा हुआ फैसला सुनाया है. 16 अक्टूबर को जस्टिस हेमंत गुप्ता रिटायर हो रहे हैं, अपनी सेवानिवृति से पूर्व उनकी अध्यक्षता में पीठ के इस अहम फैसले में दोनों ही जजों ने अपना-अलग अलग फैसला सुनाया है.
हेमंत गुप्ता ने किया हिजाब बैन का समर्थन
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने जहां शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब बैन का समर्थन किया है, वहीं उनके साथ पीठ में मौजूद दूसरे साथी जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने इसके विपरित अपना पक्ष रखा है. बेंच के दोनों सदस्यों के बीच अलग-अलग मत होने के चलते मामले को सीजेआई को भेज दिया गया है.
फैसला सुनाते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 11 सवाल तय किए हैं. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए. वहीं जस्टिस धुलिया ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते है, क्योंकि छात्रों के अधिकार की रक्षा नहीं करता है.
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती
शीर्ष अदालत में कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब बैन को लेकर दिए सरकारी आदेश के पक्ष में फैसला दिया था. जिसके खिलाफ कई स्टूडेंट से लेकर उनके परिजन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी.
सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से 10 दिन तक सुनवाई के बाद 22 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. स्कूल में हिजाब बैन सही या गलत इस पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखी थी. कनार्टक सरकार ने 5 फरवरी 2022 को एक आदेश दिया था, जिसके तहत स्कूल-कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा पहुंचाने वाले कपड़ों को पहनने पर बैन लगाया गया था.
हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार (Karnataka Govt) के आदेश को कायम रखा था.हाई कोर्ट ने माना था कि हिजाब इस्लाम धर्म में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. मुस्लिम लड़कियां स्कूल और कॉलेज में हिजाब पहनने का अधिकार चाहती हैं. इसी के मद्देनजर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, देवदत्त कामत, राजीव धवन और संजय हेगड़े सहित 20 से ज्यादा सीनियर एडवोकेट ने दलीले पेश की थी, वहीं कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने इस पुरे मामले में याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स को पीएफआई से प्रेरित बताया था. सरकार की ओर से एसजी के साथ एएसजी के एम नजटरा, कर्नाटक एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवादगी ने पैरवी की थी. अप्राथीगण की ओर से आर वेंकटरमणी ने पैरवी की.
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