नई दिल्ली- Salaam Venky Review: 'सलाम वैंकी' एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो बेहद कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह देता है. यह 24 साल के वेकेंटेश की कहानी है, जो बचपन से ही जानता था कि मौत उसका इंतजार कर रही है. उसे किसी भी पल इस दुनिया से जाना पड़ सकता है. फिल्म 2005 में पब्लिश हुई श्रीकांत मूर्ति की नॉवेल 'द लास्ट हुर्रे' पर आधारित है, इसमें क्या कुछ खास है, आइए आपको बताते हैं.
कहानी
ये कहानी 2005 के इर्द-गिर्द बुनी गई है. सफर कोलावेणु वेंकेटेश यानी वेंकी(विशाल जेठवा) का है, जो डीएमडी बीमारी की वजह से अस्पताल में आखिरी सांसे गिन रहा है. मां सुजाता(काजोल) अपनी आंखों के सामने अपने मरते बेटे को देखने के बावजूद मजबूती से इस सच्चाई का सामना कर करती है. जिंदगी के आखिरी पल में वो मां से इच्छा मृत्यु की मांग कर देता है. वेंकी चाहता है कि उसकी मौत के बाद उसकी बॉडी के सारे ऑर्गेन जरूरतमंदों को डोनेट कर दिए जाएं, लेकिन हमारे देश का कानून इसकी इजाजत नहीं देता है. इसके बाद एक मां अपने बेटे की आखिरी ख्वाहिश को पूरी करने के लिए क्या कुछ करती है यही फिल्म की कहानी है.
डायरेक्शन
एक्ट्रेस और निर्देशक रेवती ने इस फिल्म से लगभग 14 साल बाद डायरेक्शन में वापसी की हैं. रेवती ने इस फिल्म के जरिए सबको इमोशनल कर दिया है. हर कोई इस कहानी से जुड़ा हुआ महसूस कर सकेगा.
एक सच्ची कहानी को पर्दे पर पूरी सेंसेटिविटी के साथ पेश करने में उनका जवाब नहीं है. कई ऐसे सीन्स हैं, जिसे देखकर आप अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं और कुछ ऐसे भी शॉट्स हैं जो जिंदगी जीने का फलसफा सिखा जाते हैं. फर्स्ट हाफ से लेकर क्लाइमैक्स तक आप बेहद भावुक रहते हैं.
एक्टिंग
काजोल प्रमोशन के दौरान इस बात का कई बार जिक्र कर चुकी हैं कि इस फिल्म के लिए उनके अंदर की एक्ट्रेस ने नहीं, बल्कि एक मां ने हां कहा था. आप पूरी फिल्म में सुपरस्टार काजोल की स्ट्रॉन्ग मां वाली साइड देख सकेंगे. मां के रूप में काजोल ने कमाल की परफॉर्मेंस दी है. विशाल जेठवा, राजीव खंडेलवाल आपका दिल जीत लेंगे. आमिर खान का रोल बड़ा ही सप्राइजिंग है.
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