Lok Sabha Election Results: भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) लोकसभा चुनाव में 272 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए सबसे बड़ा गठबंधन बन गया. हालांकि, भगवा पार्टी स्वतंत्र रूप से 370 सीटें और अपने सहयोगियों के साथ 400 से अधिक सीटें हासिल करने के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई.
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के अनुसार, लगातार तीसरी बार बड़ी जीत की उम्मीद कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 240 सीटें मिली हैं. हालांकि, इस आंकड़े से भी भगवा पार्टी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस से काफी आगे निकल गई, जिसने 99 सीटें जीतीं. वहीं, भाजपा ने 2019 की तुलना में 63 सीटें खो दीं. जहां 2014 में BJP ने 282 सीटें जीती थीं. इस बीच, कांग्रेस ने 2014 और 2019 की तुलना में क्रमशः 55 और 47 सीटें अधिक हासिल कीं.
विदेशी मीडिया ने क्या कहा?
वाशिंगटन पोस्ट: पॉपुलिस्ट प्रधानमंत्री अपने 23 साल के राजनीतिक करियर में राज्य या राष्ट्रीय चुनावों में कभी भी बहुमत हासिल करने में विफल नहीं हुए हैं और पिछले चुनावों में उन्हें भारी जीत मिली है. लेकिन अब मोदी को राजनीतिक झटका लगता दिख रहा है. शुरुआती वोटों की गिनती से पता चलता है कि उनकी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी को ज़्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है, जिससे दशकों में सबसे प्रभावशाली भारतीय राजनेता के इर्द-गिर्द अजेयता का भाव मिट रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स: नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द अजेयता का आभामंडल बिखर गया है... मोदी की भारतीय जनता पार्टी मंगलवार को अयोध्या में अपनी संसदीय सीट हार रही थी. यह भारत के सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश राज्य में व्यापक चुनावी झटके का हिस्सा था, जहां शुरुआती नतीजों से पता चला कि भाजपा 2019 के पिछले आम चुनाव में मिली सीटों से लगभग 30 सीटें पीछे रह गई.
डॉन: पाकिस्तान स्थित मीडिया पोर्टल ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों को इस शीर्षक के साथ कवर किया कि 'भारत के वोटों की गिनती से पता चलता है कि मोदी गठबंधन आश्चर्यजनक रूप से मामूली बहुमत से जीत रहा है.' लिखा गया, 'बीजेपी ने अयोध्या में हार स्वीकार की, जहां राम मंदिर का उद्घाटन किया गया; राहुल गांधी ने कहा कि मतदाताओं ने बीजेपी को दंडित किया है.' उत्तर प्रदेश में फैसलाबाद सीट पर बीजेपी की हार, वह निर्वाचन क्षेत्र जहां भगवा पार्टी की प्रतिष्ठित परियोजना- अयोध्या राम मंदिर है, कई लोगों के लिए एक झटका है.
अल जजीरा: 'संसद में चुनौतियां आएंगी. कुछ विधेयक पारित किए जाने हैं, और उन्हें बहुत सारे समझौते करने होंगे. अतीत में, जब उनके पास पूर्ण बहुमत था, तो वे समझौता नहीं करते थे. उन्होंने हमेशा खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया जो समझौता नहीं करेगा.' यह एक विश्लेषक के विचार अल जजीरा ने लिखे.
फाइनेंशियल टाइम्स: आर्किटल में लिखा गया, 'परिणाम गठबंधन की राजनीति की वापसी होगी. कई भारतीयों को उम्मीद थी कि मोदी की स्पष्ट जीत होगी, क्योंकि इसे उनके कार्यकाल के एक दशक पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है और अभियान मुख्य रूप से उनके व्यक्तित्व पर केंद्रित था.'
बीबीसी: समर्थकों का दावा है कि वह एक मजबूत, कुशल नेता हैं जिन्होंने अपने वादे पूरे किए हैं. आलोचकों का आरोप है कि उनकी सरकार ने संघीय संस्थाओं को कमजोर किया है, असहमति और प्रेस की स्वतंत्रता पर नकेल कसी है और भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यक उनके शासन में खतरे में हैं.
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