ऐसे जातकों के लिए शुभ होता है गुरु का वक्री होना, खुल जाते हैं किस्मत के दरवाजे

Jyotish Shastra: ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को विशेष स्थान प्राप्त है. ज्योतिष में इन्हें पुत्र, जीवनसाथी, धन-संपत्ति, शिक्षा व वैभव का कारक ग्रह माना गया है. देव गुरु बृहस्पति 29 जुलाई को मीन राशि में वक्री होने के बाद अब 24 नवंबर दिन गुरुवार को 118 दिन बाद पुनः मार्गी होंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 6, 2022, 06:13 AM IST
  • ग्रह की उल्टी चाल को कहते हैं वक्री
  • वक्री गुरु वाले जातक दूरदर्शी होते हैं
ऐसे जातकों के लिए शुभ होता है गुरु का वक्री होना, खुल जाते हैं किस्मत के दरवाजे

नई दिल्लीः Jyotish Shastra: ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को विशेष स्थान प्राप्त है. ज्योतिष में इन्हें पुत्र, जीवनसाथी, धन-संपत्ति, शिक्षा व वैभव का कारक ग्रह माना गया है. देव गुरु बृहस्पति 29 जुलाई को मीन राशि में वक्री होने के बाद अब 24 नवंबर दिन गुरुवार को 118 दिन बाद पुनः मार्गी होंगे.

ग्रह की उल्टी चाल को कहते हैं वक्री
ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह जब उल्टी चाल से चलता है तो उसे वक्री कहते हैं और जब वह सीधी चाल से चलता है तो उसे मार्गी कहते हैं. देवगुरु के मीन राशि में वक्री होने से जहां कुछ राशियों का भाग्योदय हो जाएगा. इन्हें अधिक धन की प्राप्ति होगी. इनकी सुख समृद्धि में वृद्धि होगी. वहीं कुछ राशियों के जातकों के लिए वक्त मुश्किल हो सकता है.

वक्री गुरु वाले जातक दूरदर्शी होते हैं
वक्री गुरु वाले जातक आमतौर पर अन्य लोगों से अलग होते हैं. ये प्रायः उस कार्य में सफलता अर्जित कर लेते हैं, जिसमें दूसरे लोग फेल हो जाते हैं. जहां दूसरे लोग थक हार जाते हैं, वहां से वक्री गुरु वाले लोग कार्य प्रारंभ करते हैं और उसमें सफल होते हैं. ऐसे लोग एक सफल मैनेजमेंट जानने वाले होते हैं. ये बंद हो चुकी परियोजनाओं में हाथ डाले तो उसमें भी जान आ जाती है. वक्री गुरु वाले जातक दूरदर्शी होते हैं तथा जल्दबाजी में विश्वास नहीं रखते.

वक्री ग्रह का नाम सुनकर डरना ठीक नहीं
वक्री ग्रह का नाम सुनकर अक्सर लोग डर जाते हैं. ग्रहों के वक्रत्व का अर्थ वे अनिष्ट से लगाते हैं. जन्म कुंडली में यदि कोई ग्रह वक्री है तो लोग समझते हैं कि उनके साथ कुछ न कुछ बुरा होता रहेगा, लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है.

जन्म कुंडली में यदि कोई ग्रह अच्छी स्थिति में बैठा है और वह वक्री हो रहा है तो वह जातक को लाभ देता है और यदि कुंडली में कोई ग्रह अन्य पाप ग्रहों से युक्त हो या पाप ग्रहों की दृष्टि में हो तो बुरा प्रभाव देता है.

वक्री बृहस्पति जातक को राजा भी बना सकता है
किसी जातक की जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति वक्री हैं तो समझो उसकी किस्मत के द्वार खुले हुए हैं. वक्री बृहस्पति वाले जातक उन कार्यों में भी सफल हो जाते हैं, जिनमें दूसरे लोग असफल हो जाते हैं. ऐसे लोग उस जगह से कार्य प्रारंभ करते हैं, जहां अन्य लोग निराश होकर काम बंद कर देते हैं. वक्री बृहस्पति वाले जातकों में कार्य करने की अद्भुत क्षमता और सामर्थ्य होती है. वक्री बृहस्पति जातक को राजा भी बना सकता है.

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