सत्यनारायण व्रत कथा से सुधरती है जीवन की दशा, हर मनोकामना होती है पूरी

आज सत्य व्रत है. सत्य ही भगवान हैं और नारायण सबसे बड़े आराध्य हैं. सत्यनारायण का व्रत उत्तर भारत में कई घरों में किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण की पूजा करने का विधान है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 11, 2022, 07:11 AM IST
  • जानिए सत्यनारायण व्रत विधि और संकल्प
  • क्यों किया जाता है सत्यनारायण व्रत
सत्यनारायण व्रत कथा से सुधरती है जीवन की दशा, हर मनोकामना होती है पूरी

नई दिल्ली: आज सत्य व्रत है. सत्य ही भगवान हैं और नारायण सबसे बड़े आराध्य हैं. सत्यनारायण का व्रत उत्तर भारत में कई घरों में किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण की पूजा करने का विधान है. सनातनी हिंदुओं के यहां कोई भी पुण्य कार्य का अवसर होने पर सबसे पहले घरो में सत्यनारायण की कथा करने की परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है. जो लोग रामायण या भागवत कथा जैसे लंबे आयोजन करने में समर्थ नहीं होते हैं, वे सत्यनारायण की कथा कर लेते हैं. स्कंद पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही रूप हैं. ऐसे में सत्यनारायण कथा कराने और सुनने से भक्त पर विष्णु जी की भी कृपा बरसने की मान्यता है. इससे जीवन में सुख-शांति आने की बात कही गई है. बता दें कि पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा कराना काफी शुभ माना गया है. इस सत्यव्रत को कोई मानव यदि अपने जीवन और आचरण को स्थापित करता है तो वह अपने भीतर भगवन के गुड़ों का आधान करता है और संपूर्ण सुख समृद्धि व ऐश्वर्यों को प्राप्त होता हुआ जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म-अर्थ काम-मोक्ष को सिद्ध कर लेता है. 

घर में हो रहे क्लेशों से मुक्ति प्राप्ति का यह एक अद्वितीय व्रत है. यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है, इस व्रत की सबसे खास बात यह कि इस व्रत को करने का कोई भी दिन निर्धारित नहीं है. इस लिए सत्यनारायण की पूजा चैत्र (मार्च-अप्रैल), वैशाख (अप्रैल-मई), श्रावण (जुलाई-अगस्त) और कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के महीने में की जा सकती है.

मूल उद्देश्य 
इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है. इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है. इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर संकल्प लें कि मैं अपने सभी कष्टों को दूर करने के निमित्त और पापों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से यह व्रत कर रहा हूं. इस संकल्प के बाद पत्र, पुष्प आदि से सूर्य का पूजन करना चाहिए. पूरा दिन निराहार रहकर सायंकाल में भगवान विष्णु का पूजन, अर्चन और स्तवन करें. इस दिन किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना चाहिए. फिर भगवान शालिग्राम का अभिषेक, पूजन और अर्चन कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि देना चाहिए.

श्री सत्यनारायण व्रत कथा

एक बार ऋषि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि भगवन, इस मृत्युलोक में हर मानव दुखी प्रतीत होता है. क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इन मनुष्यों के सभी कष्ट दूर हो जाएं. भगवान नारायण ने नारद से कहा कि वत्स, न केवल मृत्युलोक में अपितु स्वर्ग लोक में भी एक ऐसा व्रत है जिससे सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. नारायण ने बताया कि श्री सत्यनारायण का व्रत विधि विधान के साथ करने से सुख की प्राप्ति होती है और मनुष्य को सद्गति मिलती है. सत्य को जो भी उपासक भगवान समझकर व्रत के रूप में इसका पालन करता है, उसे सभी लौकिक सुखों की अनुभूति होती है. 

सत्यनारायण व्रत विधि और संकल्प 

इस व्रत को करने के लिए यजमान को सबसे पहले पवित्र और शुद्ध मन से सत्यनारायण व्रत का संकल्प लेना चाहिए. यह व्रत दो तरह से किया जा सकता है. पहला तो यदि आपकी कोई मनोकामना पूरी हो गई है या कोई शुभ कार्य घर-परिवार में है तो किया जाता है. दूसरा यह कि आप अपने किसी विशेष कार्य को पूरा करवाना चाहते हैं तो यह व्रत करें. व्रत का संकल्प करने के बाद इसकी पूजा दोपहर में 12 बजे से पूर्व की जाती है. अपने पूजा स्थान या जिस जगह सत्यनारायण पूजा करना है उस जगह को गंगाजल, गौमूत्र से साफ-स्वच्छ कर लें. फिर आटे से स्वस्तिक बनाकर उस पर लकड़ी की चौकी रखें. चौकी पर लाल और सफेद कपड़े आधे-आधे जगह पर बिछाएं.

भगवान सत्यनारायण का प्रसाद 

प्रसाद के लिए गेंहू के आटे की पंजीरी, फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान में से जो भी हो सवाया लें.

सत्यनारायण व्रत करने से जीवन में मिलते हैं कई लाभ- भगवान श्री हरि विष्णु के स्वरूप भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा से लगभग प्रत्येक हिंदू जनमानस परिचित है. शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जिसने कभी न कभी सत्यनारायण पूजा घर में नहीं करवाई होगी. कोई भी शुभ कार्य हो, ग्रह प्रवेश हो, विवाह आदि का आयोजन हो या कोई और प्रसन्नता का कार्य हो सत्यनारायण पूजा अवश्य की जाती है.

दरिद्रता का होता है नाश 

ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी दुख और दरिद्रता का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है.

क्यों किया जाता है सत्यनारायण व्रत

घर-परिवार की सुख-समृद्धि, आर्थिक प्रगति, दुखों के नाश, संकटों से छुटकारा और कन्या के विवाह में आ रही बाधाएं दूर करने के लिए सत्यनारायण व्रत किया जाता है. कार्यों या उद्देश्यों की पूर्ति की कामना से यदि सत्यनारायण व्रत-पूजा का संकल्प लिया जाए तो वह कामना अवश्य पूरी होती है और उसके पूरे होने के पश्चात यह पूजा जरूर करवाएं.

श्रद्धानुसार ब्राह्ण दंपति को भोजन करवाएं 

चौकी के आसपास केले के पत्ते का मंडप बनाएं और चौकी पर सत्यनारायण भगवान का चित्र या मूर्ति स्थापित करें. लाल कपड़े पर गेहूं से सोलह ढेरी बनाकर षोड़श मात्रिका स्थापित करें और सफेद कपड़े पर चावल से नवग्रहों की 9 ढेरियां बनाएं. मध्य में एक कलश स्थापित करें और कलश में आम के पत्ते डालकर श्रीफल स्थापित करें. इसके बाद सबसे पहले भगवान श्री गणेश का आह्वान और पूजन करें. कलश की पूजा करें और भगवान सत्यनारायण की पूजा करें. फिर सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें. कथा के बाद हवन किया जाता है तथा नैवेद्य में पंचामृत, केले सहित पांच फल और हलवे का भोग लगाएं. यह पूजा आप नहीं कर सकते तो किसी पंडित से करवाएं. पूजन पूर्ण होने के बाद अपनी श्रद्धानुसार ब्राह्ण दंपती को भोजन करवाएं. गरीबों को दान दें. 

व्रत के लाभ 

  • 1. जिस मनोकामना की पूति को लेकर किया गया है वह अवश्य पूरी होती है. 

  • 2. व्रत के प्रभाव से समस्त संकटों का नाश हो जाता है. 

  • 3. कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है तो सत्यनारायण व्रत के प्रभाव से शीघ्र ही अच्छे विवाह प्रस्ताव आने लगते हैं. 

  • 4. आजीविका संबंधी समस्या का निदान सत्यनारायण व्रत से हो जाता है. 

  • 5. नौकरी में तरक्की और बिजनेस में लाभ के लिए सत्यनारायण व्रत अवश्य करना चाहिए.

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