Navratri 2022: आज इस तरह करें मां कात्यायनी का पूजन, दूर होंगी सभी रूकावटें

मां कात्यायनी की पूजा विशेष प्रकार से करनी चाहिए. इसके लिए प्रात:जल्दी उठकर नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करें. उसके बाद मां को प्रणाम कर व्रत करने का संकल्प लें. मां की पूजा में नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा, रोली, चावल, चुन्नी, शहद, अगरबत्ती, धूप, दीया और घी का प्रयोग करना चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 1, 2022, 08:09 AM IST
  • जानें आज लाल रंग के कपड़े का महत्व
  • विवाह संबंधी रूकावटें होती हैं दूर
Navratri 2022: आज इस तरह करें मां कात्यायनी का पूजन, दूर होंगी सभी रूकावटें

नई दिल्ली: स्कंद पुराण में कहा गया है कि देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुई थी. वहीं वामन पुराण के अनुसार सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को बाहर निकालकर कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा किया और कात्यायन ऋषि ने उस शक्तिपूंज को एक देवी का रूप दिया. जो देवी पार्वती द्वारा दिए गए सिंह (शेर) पर विराजमान थी. कात्यायन ऋषि ने रूप दिया इसलिए वो दिन कात्यायनी कहलाईं और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया.

माता कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी शेर की सवारी करती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं, बाएं दो हाथों में कमल और तलवार है, जबकि दाहिने दो हाथों से वरद एवं अभय मुद्रा धारण की हुईं हैं. देवी लाल वस्त्र में सुशोभित हो रही हैं.

ब्रज मंडल की हैं अधिष्ठात्री देवी
ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र का महत्वपूर्ण स्थान है. इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है. परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्त को सहज भाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरुप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है. भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी.

ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा

मां कात्यायनी की पूजा विशेष प्रकार से करनी चाहिए. इसके लिए प्रात:जल्दी उठकर नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करें. उसके बाद मां को प्रणाम कर व्रत करने का संकल्प लें. मां की पूजा में नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा, रोली, चावल, चुन्नी, शहद, अगरबत्ती, धूप, दीया और घी का प्रयोग करना चाहिए. देवी को फूल और जायफल प्रिय हैं
इसलिए पूजा करते समय उन्हें पुष्प और जायफल ज़रूर अर्पित करें. मां को प्रसन्न करने के लिए 3 से 4 पुष्प लेकर मां कात्यायनी के मंत्र का 108 बार जाप करना फलदायी होता है. मां कात्यायनी को रोली, हल्दी, सिंदूर लगाना चाहिए. इसके बाद मां के आगे घी का दीपक जलाना चाहिए.

माता कात्यायनी की पूजा प्रदोषकाल यानी गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है.

लाल रंग के कपड़े का महत्व
देवी कात्यायनी की पूजा में लाल रंग के कपड़ों का भी बहुत महत्व है.  

माता कात्यायनी को शहद का भोग
षष्ठी तिथि के दिन मां की पूजा में शहद का महत्व होता है इसलिए प्रसाद में शहद का प्रयोग ज़रूर करना चाहिए. माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से उपासक की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है.

आज करें इस मंत्र का जाप
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

पूजन से होती है धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति

मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. उनको रोग, संताप और अनेकों प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि मां के इस स्वरुप की पूजा करने से विवाह में आ रहीं रुकावटें दूर होती हैं.

देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरुप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है. इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है. मां दुर्गा के छठवें रूप की पूजा से राहु और कालसर्प दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

विवाह संबंधी रूकावटें होती हैं दूर

जो अविवाहित हैं या जिनके विवाह में कोई परेशानी आ रही है, उनके द्वारा विधि पूर्वक की गयी मां कात्यायनी की पूजा सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करती है. मां कात्यायनी की पूजा से अविवाहित लड़कियों के विवाह के योग बनते हैं और सुयोग्य वर भी मिलता है. जिन साधकों को विवाह से सम्बंधित समस्या है, इस दिन मां को हल्दी की गांठे माता को अर्पित करने से मां उन्हें उत्तम फल प्रदान करतीं हैं.

इस उपाय को करने से मिलेगा विशिष्ट लाभ
इस दिन भगवान हारण्य जो कि एक मणि में विराजित रहते हैं, की स्थापना की जाती है और उनकी पैंतालीस दिन लगातार पूजा की जाती है. इस उपाय से जवीन में कठिन से कठिन समस्याओं का निदान होता है.

भय और शोक का होता है नाश
देवी कात्यायनी की पूजा से रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश हो जाता है. देवी कात्यायनी की पूजा करने से हर तरह का भय भी दूर हो जाता है.

नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व
नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाने का विशेष महत्व होता है. इसके अलावा भी साल भर दुर्गा सप्तशती के पाठ से आप मां की कृपा प्राप्त कर सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार सप्ताह के हर दिन इसके पाठ का अपना अलग महत्व है और वार के अनुसार इसका पाठ विभिन्न फल देने वाला होता है.

-इस पाठ को कराने से आपको मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की कृपा प्राप्त होती है. उनके आशीर्वाद से आपके सभी कार्य सफल होते हैं.
-इसमें जीवन की प्रत्येक समस्या के लिए अलग मंत्र होता है जिसके उच्चारण से आपको उस समस्या का सामना करने की शक्ति मिलती है.
-इसमें सामूहिक कल्याण, विश्व की रक्षा, महामारी-नाश, विपत्ति-नाश, भय-नाश, पाप-नाश, शक्ति प्राप्ति आदि मंत्रों का जाप किया जाता है.
-दुर्गा सप्तशती के पाठ से आपकी वित्तीय, स्वास्थ्य, तनाव, विवाह, संतान और अन्य समस्याएं दूर होती हैं.

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