Margsheersh Amavasya 2022: जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान-दान का महत्व, व्रत-पूजा की सही विधि

Margsheersh Amavasya 2022: मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है. किसी भी माह की अमावस्या तिथि को पितरों के तर्पण, अशुभ दोष निवारण आदि के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का विशेष महत्व है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 23, 2022, 09:44 AM IST
  • मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
  • जानिए व्रत-पूजा की सही विधि
Margsheersh Amavasya 2022: जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान-दान का महत्व, व्रत-पूजा की सही विधि

नई दिल्ली: मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है. किसी भी माह की अमावस्या तिथि को पितरों के तर्पण, अशुभ दोष निवारण आदि के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का विशेष महत्व है.

माना जाता है कि इस दिन दान पुण्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और पितर भी तृप्त होते हैं. इसके अलावा मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा विशेष फलदायी होती है.
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 23 नवंबर दिन बुधवार को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 24 नवंबर को प्रातः काल 04 बजकर 26 मिनट पर होगा.

जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
मार्गशीर्ष की अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है. ये दिन कालसर्प दोष निवारण, पितृदोष निवारण आदि के लिए भी उत्तम माना गया है. जिस प्रकार पितृ पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार कहा जाता हैं कि मार्गशीर्ष माह की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त व्रत रखने और जल से तर्पण करके सारे पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है.

इस दिन व्रत करने से कुंडली के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं, निसंतानों को संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं, अगर किसी के भाग्य स्थान में राहू नीच का होकर परेशान कर रहा हो तो वह भी दूर हो जाती है. अगहन माह की अमावस्या के व्रत से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रूद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षियों सहित सब भूत-प्राणियों की तृप्ति भी हो जाती है.

जानिए व्रत-पूजा की सही विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या के उपवास के साथ-साथ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन जल्दी उठकर सही पूजा विधि और गतिविधि में शामिल अवश्य हों. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना मुमकिन हो तो इसे अवश्य करें. हालांकि यदि आप पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो इस दिन अपने स्नान के जल में ही कुछ बूँद गंगाजल की मिला लें और फिर उस से स्नान करें.

इस दिन सत्यनारायण की कथा पढ़नी चाहिए. भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए और गीता पढ़ना भी बेहद शुभ होता है. इस दिन जो लोग मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत कर रहे हो उन्हें स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में दूध और जल अवश्य अर्पित करना चाहिए.

अमावस्या तिथि धार्मिक अनुष्ठान
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करना चाहिए और अपने पितरों के निमित्त तर्पण व दान करना चाहिए. संभव हो तो इस व्रत रखें और क्षमता अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि का दान करें. संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.

स्नान और दान का मुहूर्त
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल से लेकर सुबह 08 बजे से 01 बजे तक है. इस दौरान स्नान और दान करना ज्यादा शुभ होगा.

यह भी पढ़िए- Margsheersh Amavasya 2022: मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन कष्टों से मुक्ति के लिए करें ये ज्योतिष उपाय

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़