Navratri 2023: अक्टूबर की इस तारीख से शुरू होगी नवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और घटस्थापना की पूरी विधि

Navratri 2023 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. यह इस दिन से लगातार नौ दिनों तक चलती है. व्रत करने वाले लोगों को पर मां की विशेष कृपा रहती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 25, 2023, 09:10 AM IST
  • नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा माता के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है
  • मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं
Navratri 2023: अक्टूबर की इस तारीख से शुरू होगी नवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और घटस्थापना की पूरी विधि

नई दिल्ली: Navratri 2023 Date: नवरात्रि का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व माना गया है. शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. यह इस दिन से लगातार नौ दिनों तक चलती है. मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-चैन आता है. व्रत करने वाले लोगों को पर मां की विशेष कृपा रहती है. आइए, जानते हैं कि दुर्गा मां का यह शुभ पर्व कब से शुरू हो रहा है और इसका शुभ मुहूर्त क्या है.

कब से है नवरात्रि
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर की रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 16 अक्टूबर की मध्यरात्रि 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. लिहाजा, पहला व्रत 15 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन रविवार है. पर्व के शुरुआत में ही स्वाति और चित्रा नक्षत्र भी बन रहे हैं. 

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 14 को अक्टूबर शाम 4 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रहा ह. यह अगले दिन अगले दिन 15 अक्टूबर की शाम 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इस दौरान चित्रा नक्षत्र है. लिहाजा, इस अवधि में घटस्थापना करना बेहद शुभ माना जाता है. 

मां के 9 रूपों की पूजा करें
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा माता के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. क्रमशः मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां सिद्धिदात्री और मां महागौरी को पूजा जाता है. मान का हर रूप आप पर आशीर्वाद बरसाएगा.  

कैसे करें घटस्थापना
घटस्थापना लिए सुबह उठते ही स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. इसके व्रती व्रत का संकल्प लेते हैं. फिर मंदिर की साफ-सफाई होती है और उसमें गंगाजल का छिड़का जाता है. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें.फिर मिट्टी के कलश पर अशोक के पौधें लगाएं और उस पर स्वास्तिक का निशान बनाएं. इस कलश में सिक्का, अक्षत और सुपारी डाली जाती है. फिर नारियल में लाल चुनरी लपेटकर इसे कलश के ऊपर रखें. दीप जलाकर कलश स्थापना की विधि पूरी होती है. 

 (Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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