Gaza Ceasefire: गाजा में युद्ध विराम पर UN में वोटिंग से क्यों दूर रहा भारत? यहां पढ़ें इनसाइड स्टोरी
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Gaza Ceasefire: गाजा में युद्ध विराम पर UN में वोटिंग से क्यों दूर रहा भारत? यहां पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Gaza Ceasefire News: संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) में गाजा में मानवीय सहायता का काम आगे बढ़ाने के नाम पर वहां इजरायल की बमबारी रोकने यानी सीजफायर को लेकर हुई वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया. इसे लेकर कांग्रेस पार्टी और प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं ने केंद्र नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

Gaza Ceasefire: गाजा में युद्ध विराम पर UN में वोटिंग से क्यों दूर रहा भारत? यहां पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Israel Hamas war latest: इजरायल अपने 1400 लोगों की मौत और तरीब 250 लोगों को बंधक बनाने का इंतकाम इस कदर लेगा ये दरिंदगी करने में नया रिकॉर्ड बनाने वाले आतंकवादी संगठन हमास के दरिंंदों ने भी नहीं सोचा होगा. हैवानियत का नया चेहरा दिखाते हुए हमास (Hamas) के आतंकवादियों ने जिस तरह छोटे छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को गोलियो से भून दिया. अब उसका बदला इजरायल गिन गिन के ले रहा है. इजरायल की सेना और फौजियों ने बमबारी करके गाजा पट्टी को पाट दिया है. ऐसे में हमास अब सीजफायर के लिए कभी यूएन से गुहार लगा रहा है. तो कभी रूस की गोद में बैठकर गिड़गिड़ा रहा है. 

यूएन में वोटिंग से क्यों एबसेंट रहा भारत?

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के उस प्रस्ताव में हुई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस प्रस्ताव में इजरायल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था. इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में अनुपस्थित रहने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए भारत ने स्पष्ट किया है कि इस प्रस्ताव में हमास का कहीं कोई जिक्र नहीं है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ को आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट संदेश भेजने की जरूरत है.

UN में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट को संबोधित करते हुए कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा.' इस प्रस्ताव में संघर्ष को तत्काल रोकने और गाजा में निर्बाध मानवीय पहुंचाने की अपील की गई थी, जो इजरायल के हवाई हमलों से पटा पड़ा है.

UN के मंच से भारत का जवाब

भारतीय अधिकारी ने हमलों की निंदा करते हुए कहा,' भारत ने यूएनजीए के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हमास और उसके आतंकवादी निंदा के पात्र हैं. इसलिए प्रस्ताव को और स्पष्ट होना चाहिए. 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए सभी आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे. जिनकी निंदा होनी चाहिए थी. हमारी संवेदनाएं मारे गए और बंधक बनाए गए लोगों के साथ हैं. हम तो  उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं. भारत इस मंच से कई बार कह चुका है कि आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती है. आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा होनी चाहिए. आतंकवादी हमलों को लेकर हमें मतभेदों को दूर कर, एकजुट होना होगा. सभी देशों को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर आना चाहिए.'

भारत सुरक्षा हालातों को लेकर चिंतित

भारतीय अधिकारी ने ये भी कहा, 'हम बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से चिंतित है. हमने सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है. हम नागरिकों के जीवन की क्षति से भी चिंतित है. क्षेत्र में शत्रुता बढ़ने से मानवीय संकट और बढ़ेगा. इसलिए सभी पक्षों को अधिक जिम्मेदारी दिखानी होगी. भारत ने हमेशा इजरायल-फिलिस्तीन के लिए बातचीत के जरिए टू स्टेट सॉल्युशन का समर्थन किया है. हम हिंसा रोकने और शांति वार्ता को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह करते हैं.'

भारत की ये टिप्पणी यूएन में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव पर मतदान के लिए आपातकालीन यूएनजीए सत्र में आई. इस प्रस्ताव में 120 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया, 14 ने इसके खिलाफ वोट दिया. वहीं भारत समेत करीब 45 देशों ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

भारत के रुख को समझिए

आपको बताते चलें कि इस प्रस्ताव से इतर भारत ने यूएन में कनाडा द्वारा प्रस्तावित एक संशोधन का समर्थन किया, जिसमें हमास द्वारा इजरायल पर किए गए आतंकवादी हमलों की निंदा की मांग की गई थी. इस संशोधन प्रस्ताव में एक पैराग्राफ जोड़ने की मांग की गई है जिसमें ये कहा गया है कि महासभा 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में शुरू हुए हमास के आतंकवादी हमलों और बंधकों को लेने की घटनाओं को स्पष्ट रूप से खारिज करती है और निंदा करती है.' अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन में बंधकों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाता है और उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान किया जाता है.' हालांकि संशोधन को अपनाने के लिए इसे यूएनजीए में आवश्यक संख्या में वोट नहीं मिले.

अमेरिका ने जताई नाराजगी

अमेरिका ने भी इस प्रस्ताव में हमास का नाम नहीं लेने पर नाराजगी जताते हुए इसे 'बुराई को बचाने की कोशिश' करार दिया है. वोटिंग शुरू होने से
पहले, अमेरिका ने इस प्रस्ताव में 'बंधक' शब्द को प्रस्ताव का हिस्सा नहीं बनाने पर भी नाराजगी जताई है. यूएन में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ने कहा, 'यह प्रस्ताव उन निर्दोष लोगों का कोई जिक्र नहीं करता है जो हमास के हमले में मारे गए या बंधक बनाए गए हैं.'

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