विल्सन सेंटर थिंक टैंक (Wilson Center think tank) के हालिया रिसर्च और स्टडी के बाद आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रजनन क्षमता में गिरावट (Fall in fertility) के कारण साल 2022 और 2050 के बीच 61 देशों की जनसंख्या में 1 फीसदी या उससे अधिक की कमी होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) द्वारा जारी डाटा से पता चलता है कि हमारी धरती बहुत जल्द मानवता के हिसाब से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर छूने जा रही है. दरअसल अगले हफ्ते दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंच जाएगी. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग ने कहा कि आने वाले दशकों में जनसंख्या में वृद्धि जारी रहेगी. वहीं जीवन प्रत्याशा 2050 तक बढ़कर औसतन 77.2 साल हो जाएगी.
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क और WWF के डाटा के मुताबिक, अगर इस ग्रह यानी अपनी धरती पर रहने वाला हर इंसान भारत के नागरिक की तरह व्यवहार और जीवनशैली बिताता है तो हर साल धरती पर मौजूद संसाधनों के बेहद कम हिस्से से हमारा काम चल सकता है. लेकिन अगर पूरी दुनिया के लोग दुनिया में मौजूद संसाधनों का अमेरिका के किसी निवासी की तरह उपभोग करते हैं, तो हमें एक साल में पांच पृथ्वी के बराबर संसाधनों की जरूरत पड़ेगी. संयुक्त राष्ट्र (UN) का अनुमान है कि 2050 तक धरती 9.7 अरब लोगों का घर होगी. जनसंख्या पर चर्चा करते समय उत्पन्न होने वाले सबसे कठिन प्रश्नों में से एक यह है कि प्रजनन क्षमता को नियंत्रित करना. इसे नियंत्रित रखने पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है.
एनजीओ पॉपुलेशन मैटर्स के कार्यकारी निदेशक रॉबिन मेनार्ड के मुताबिक फिलहाल तो जनसंख्या की दर में तरीके से कमी लाने की जरूरत है. वहीं एनजीओ प्रोजेक्ट ड्रॉडाउन का कहना है कि धरती पर मौजूद संसाधनों को लंबे समय तक बचाने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकना बेहज जरूरी है. इसके कई मानकों को पूरा करने में शिक्षा और परिवार नियोजन जैसी चीजें अहम भूमिका निभा सकती हैं.
यूरोप की बात करें तो यूरोपियन यूनियन (EU) की जनसंख्या 2021 में लगातार दूसरे साल कम हुई है. EU के सांख्यिकी विभाग ने अपने बयान में कहा कि यह कमी इसलिए आई क्योंकि यूरोप में कोरोनो वायरस की वजह से करीब दो मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत हुई. वहीं यूरोस्टैट के अनुसार यूरोप के 27 देशों की जनसंख्या में बड़ी गिरावट आई है.
एक अनुमान के मुताबिक अगले कुछ सालों में यूरोपिय यूनियन की समग्र जनसंख्या में गिरावट हो या बढ़ोतरी उसमें सबसे बड़ा हिस्सा उन प्रवासी लोगों का होगा, जो बेहतर जीवन प्रत्याशा की आस में अपना देश छोड़कर यूरोप में आए थे. 1950 से अब 2022 तक एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की आबादी करीब तीन गुना बढ़ चुकी है.
यूरोस्टेट के आंकड़ों के मुताबिक कई चुनौतियों के बावजूद यूरोपियन यूनियन के आधे से अधिक सदस्य देशों ने अपनी आबादी में बढ़ोतरी देखी है. जिसमें फ्रांस सबसे आगे रहा दूसरे नंबर पर नीदरलैंड और तीसरे नंबर पर स्वीडन की आबादी में इजाफा हुआ. इसके बाद इटली, पोलैंड और रोमानिया ने यूरोपीय संघ में सबसे बड़ी आबादी का आंकड़ा छुआ. आपको बताते चलें कि यूरोस्टेट ने जनवरी 2022 तक यूरोपीय संघ के अंदर रहने वाले करीब 44 करोड़ लोगों की गिनती करने के बाद ये आंकड़े जारी किये थे.
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