Chinese Made Helicopters: चीनी हेलीकॉप्टर खरीद कर पछता रहा है पाकिस्तान, भारत का हुआ यह फायदा
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Chinese Made Helicopters: चीनी हेलीकॉप्टर खरीद कर पछता रहा है पाकिस्तान, भारत का हुआ यह फायदा

Pakistan News: 2009 में तत्कालीन चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल नोमन बशीर ने इस हेलीकॉप्टर को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि तकनीक के मामले में यह पश्चिमी देशों को भी टक्कर देता है. हालांकि कुछ समय बाद पाकिस्तानी नौसेना को इन हेलीकॉप्टरों को लेकर गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा.

Chinese Made Helicopters: चीनी हेलीकॉप्टर खरीद कर पछता रहा है पाकिस्तान,  भारत का हुआ यह फायदा

Pakistani Helicopters: पाकिस्तान ने 2006 में चीन से Z-9EC हेलीकॉप्टर काफी उम्मीदों के साथ खरीदे थे. इनका मकसद भारतीय पनडुब्बियों पता लगना था. ये हेलीकॉप्टर विशेष रूप से पाकिस्तानी नौसेना और वायु सेना के लिए निर्मित एक ASW संस्करण हैं लेकिन अब इस्लामाबाद इस डील पर पछता रहा है. इन एंटी सबमरीन वॉरफेयर वाले हेलीकॉप्टरों के साथ जुड़ी सबसे बड़ी समस्या इनकी मेंटेनेंस को लेकर है. पाकिस्तान अपने डैमेज हेलीकॉप्टरों की मरम्मत नहीं कर पा रहा है.

पाकिस्तान ने ये हेलीकॉप्टर हार्बिन एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री से खरीदे थे लेकिन यह चीनी कंपनी हेलीकॉप्टरों के स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई टाइम पर नहीं कर पा रही है जिसके चलते Z-9EC हेलीकॉप्टरों में से अधिकतर उड़ान ही नहीं भर पा रहे हैं.

भारत को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने खरीदे थे हेलीकॉप्टर
पाकिस्तान ने भारत को ध्यान में रखते हुए पल्स कम्प्रेशन रडार, लो-फ़्रीक्वेंसी सोनार, रडार वार्निंग रिसीवर और डॉपलर नेविगेशन सिस्टम से लैस इन हेलीकॉप्टरों को खरीदा था. हालांकि रक्षा में विशेषज्ञता वाले एक स्वतंत्र समाचार पत्र डिफ़ेसा ऑनलाइन की रिपोर्ट है इससे नई दिल्ली को नुकसान होने की बहुत कम संभावना है. वहीं इन हेलीकॉप्टरों की उड़ान न भरने से भारत के लिए अरब सागर में अपनी मौजूदगी बनाए रखना आसान हो गया है. भारत अब पाकिस्तान की सीमा के अंदर जाकर खुफिया जानकारी जुटा सकता है.

इतालवी प्रकशान के मुताबिक यह पहली बार नहीं है जब चीनी हथियार प्रणालियों की पाकिस्तानी नौसैनिक हलकों में कठोर आलोचना हो रही है. वास्तव में, कई देश जो सैन्य रूप से बीजिंग से कम लागत वाली आपूर्ति पर निर्भर हैं, विशेष रूप से रखरखाव के दृष्टिकोण से बड़ी कमियों की शिकायत करते हैं.

पाकिस्तान ने किए बड़े-बड़े दावे
2009 में तत्कालीन चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल नोमन बशीर ने इस हेलीकॉप्टर को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि तकनीक के मामले में यह पश्चिमी देशों को भी टक्कर देता है. हालांकि कुछ समय बाद पाकिस्तानी नौसेना को इन हेलीकॉप्टरों को लेकर गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा.

सबसे गंभीर समस्या टेल रोटर ब्लेड की विफलता थी, एक ऐसा दोष जिसका मशीन की उड़ान योग्यता पर सीधा प्रभाव पड़ता है. वास्तव में, एक कार्यशील टेल रोटर ब्लेड के बिना, हेलीकॉप्टर अचानक, अनियंत्रित स्विंग कर जाता, जिसे अगर सही नहीं किया गया, तो चालक दल के लिए खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है.

दूसरी बड़ी समस्या मुख्य रोटर ब्लेड में पाए जाने वाले गंभीर दोषों से संबंधित है. इन ब्लेड की जीवन सीमा 3,000 घंटे है, लेकिन उनमें से कुछ को बहुत पहले बदल दिया जाना चाहिए था. तीसरी गंभीर समस्या ब्रेक डिस्ट्रीब्यूशन वाल्व की स्थिति से संबंधित है, जिसके कारण 2018-2019 की अवधि में लैंडिंग चरणों के दौरान कई टायर फट गए.

मरम्मत और रखरखाव के लिए मेहरान नौसैनिक अड्डे पर स्थापित विशेष सुविधा के निर्माण के बाद भी, समस्याएं हल होने से बहुत दूर हैं. पाकिस्तानी नौसेना के अधिकारियों ने चीन से आयातित स्पेयर पार्ट्स के अपूर्ण प्रसंस्करण की सूचना दी थी. ऐसा लगाता है कि दोस्ती के नाम पर पाकिस्तानी नौसेना को चीन द्वारा बेची जाने वाली हथियार प्रणालियों को खरीदने के लिए मजबूर किया गया.

(इनपुट - ANI)

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