Qatar News: पिछले हफ्ते कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा दी थी. भारत ने फैसले को ‘बेहद’ चौंकाने वाला बताया था और मामले में सभी कानूनी विकल्प आजमाने का संकल्प लिया था.
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World News in Hindi: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार उन आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों की रिहाई सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, जिन्हें कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. जयशंकर की यह बयान उन आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों के परिवारों से मुलाकात के बाद आई, जिन्हें कतर में मौत की सजा दी गई है.
बता दें पिछले हफ्ते कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को इजराइल के लिए जासूसी करने के कथित आरोप में मौत की सजा दी थी. कतरी खुफिया एजेंसी ने निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले इन अधिकारियों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया था. हालांकि इनके खिलाफ आरोपों का भारत या कतर द्वारा आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया गया.
कतर की कानूनी प्राणाली
कतर की कानूनी प्रणाली नागरिक कानून और इस्लामी कानून का मिलाजुला रूप है. यहां कोड़े मारने को सज़ा के रूप में लागू किया जाता है. जहां तक मृत्युदंड है तो पिछले कई सालों में ऐसे मामले दुर्लभ हैं जहां मौत की सजा वास्तव में दी गई.
कतर में इन मामलों में मिलती है मौत की सजा
कतर में मुख्य रूप से जासूसी या राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ अन्य खतरों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। धर्मत्याग, समलैंगिक संभोग और ईशनिंदा को मृत्युदंड अपराध माना जाता है, लेकिन इस आरोप के लिए मौत की सजा का कोई आवेदन दर्ज नहीं किया गया.
अन्य अपराध जैसे हत्या, हिंसक डकैती जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु, आगजनी, यातना, अपहरण, आतंकवाद, बलात्कार, ड्रग्स की तस्करी, सम्मान के अपराध का आरोप लगाने की धमकी देकर जबरन वसूली, झूठी गवाही के कारण गलत तरीके से फांसी और देशद्रोह में संभावित मौत की सजा हो सकती है. हालांकि, क़तर में हालिया मौत की सजाएं (मार्च 2003 और मई 2020 में) हत्या के मामले में सुनाई गई हैं.
आखरी बार 2020 में दी गई थी फांसी
कतर में मृत्युदंड फायरिंग दस्ते द्वारा दिया जाता है. देश फांसी दुर्लभ है. आखिरी फांसी 17 साल के अंतराल के बाद मई 2020 में हुई. फांसी देने वाला नेपाल का एक हत्यारा था.
‘मुझे नहीं लगता फांसी दी जाएगी’
इस मामले में कतर में भारतीय राजदूत रह चुके केपी फैबियन का कहना है कि उन्हें नहीं लगता है कि नौसेना के 8 पूर्व अफसरों फांसी दी जाएगी. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी 8 भारतीयों को माफ़ी दे सकते हैं. कतर के अमीर साल में 2 बार कैदियों को माफी देते हैं.'
पूर्व राजदूत ने कहा कि लेकिन ये भी जरूरी है कि इसके लिए आवेदन करना होगा. मुझे यकीन है कि यह सही समय पर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले काफी पेचीदा होते हैं. लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी.
‘कूटनीति में सब कुछ खुलकर नहीं कहा जाता’
केपी फैबियन कहा कि हमारे पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं. पहला, हम इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले जाएं. दूसरा, हम कतर के अमीर से अपील करें कि अगर हो तो 8 भारतीयों को माफ कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसके बारे में बहुत अधिक सार्वजनिक चर्चा नहीं की जा सकती है. इसमें कूटनीति भी काम करती है, लेकिन कूटनीति में सब कुछ खुलकर नहीं कहा जाता.