MS Dhoni: एमएस धोनी, किसी को भी इस नाम के आगे द लीजेंड लगाने में गुरेज नहीं होगा. ये वो नाम है जो परिचय का मोहताज नहीं है. जब भी बेहतरीन कप्तान, फिनिशर या टॉप विकेटकीपर की बात आती है तो सभी को धोनी का नाम याद आता है. धोनी की कप्तानी में भारत ने तीन आईसीसी ट्रॉफी जीतीं. लेकिन उनकी कप्तानी का डार्क फेज बहुत कम ही फैंस को पता होगा.
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Dark Side of MS Dhoni Captaincy: एमएस धोनी, किसी को भी इस नाम के आगे द लीजेंड लगाने में गुरेज नहीं होगा. ये वो नाम है जो परिचय का मोहताज नहीं है. जब भी बेहतरीन कप्तान, फिनिशर या टॉप विकेटकीपर की बात आती है तो सभी को धोनी का नाम याद आता है. धोनी की कप्तानी में भारत ने तीन आईसीसी ट्रॉफी जीतीं. लेकिन उनकी कप्तानी का डार्क फेज बहुत कम ही फैंस को पता होगा. यूं तो दुनियाभर के कप्तान धोनी से सीखने आते हैं लेकिन एक दौर था जब कई दिग्गज धोनी से नाखुश थे और उनकी कप्तानी पर सवाल उठा रहे थे. जिसकी वजह क्या थी आईए डिटेल में समझते हैं.
आज तक नहीं धुला वो दाग
एमएस धोनी का स्वभाव बेहद शांत है और मैदान पर धोनी उतने ही मास्टर माइंड. उनका दर्जा ऊंचा और भले ही माही नंबर वन हैं, लेकिन एक दाग उनके भी ऊपर है, जो आज भी नहीं धुला. उनकी कप्तानी में कुछ ऐसा हुआ कि कुछ सीनियर खिलाड़ियों से उनके रिश्ते में खटास दिखी थी, जिसमें सचिन, सहवाग और गंभीर शामिल हैं. वह साल 2011 था जब 28 साल बाद धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने वनडे वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया था. खिताबी जीत का जश्न अभी खत्म नहीं हुआ था, कि टीम इंडिया में उथल -पुथल होनी शुरू हो गई. उस दौर में गंभीर-सहवाग जैसे खिलाड़ियों का क्रेज आसमान छू रहा था और ये पीक पर थे. वर्ल्ड कप के बाद टीम इंडिया इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में क्लीन स्वीप कराकर शर्मनाक तरीके से टेस्ट सीरीज में हारी और कंट्रोवर्सी शुरू हो गई थी.
धोनी ने लिए थे बड़े फैसले
टीम इंडिया में एक से बड़े एक धुरंधर खिलाड़ी मौजूद थे, इसके बावजूद हमें हार का सामना करना पड़ा. अब सेलेक्टर कृष्णमचारी श्रीकांत और कप्तान धोनी ने कुछ बड़े फैसले लिए. हरभजन की जगह अश्विन को मौका दिया, वहीं पीयूष चावला और यूसुफ पठान की यूं ही टीम से छुट्टी कर दी. युवी कैंसर से जूझ रहे थे. अब बचे थे सचिन, सहवाग और गंभीर, जिन्हें उस दौर में बाहर करना मतलब पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था. सभी के आंकड़े धोनी से कई ज्यादा अच्छे थे. धोनी का फोकस रोहित शर्मा पर बना हुआ था, जो कि आज वर्ल्ड क्रिकेट में एक खूंखार ओपनर के तौर पर जाने जाते हैं. लेकिन उस दौर में रोहित एक मामूली प्लेयर थे, उनके पास स्ट्राइक रेट, आंकड़े या औसत कुछ भी नहीं था. लेकिन धोनी ने उन्हें स्टार बनाने की ठान ली. इसके लिए कई दिग्गज खिलाड़ियों की लंका लगी और कई महान क्रिकेटर्स ने धोनी की कप्तानी में कड़ी आलोचना भी की.
सुनील गावस्कर ने उठाए थे सवाल
साल 2012 जब धोनी का ऐसा बयान आया जिसने सभी को हिला दिया. उन्होंने कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के एक पोस्ट मैच इंटरव्यू में उन्होंने ये कह दिया कि हमारे टॉप 3 स्लो हैं, मैं उन तीनों को साथ नहीं खिला सकता. धोनी के स्टेटमेंट के बाद उस सीरीज में भी गंभीर ने 92 और 91 मैच विनिंग पारियां खेली. उस दौरान गंभीर अपने करियर के पीक पर थे, लेकिन धोनी ने टीम में पोजीशन ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया था. गंभीर को शानदार प्रदर्शन के बावजूद उप कप्तानी से हटा दिया गया. वहीं, सचिन ने रिटायर होकर काम आसान कर दिया था. धीरे-धीरे गंभीर की टीम से परमानेंट छुट्टी हो गई. धोनी की जमकर आलोचना हुई. बिशन सिंह बेदी और गावस्कर ने धोनी की कप्तानी पर सवाल उठाए थे. गावस्कर ने कहा था कि यंगस्टर की इतनी चिंता है तो खुद क्यों नहीं बाहर बैठ जाते. लेकिन धोनी का फोकस यंग टीम खड़ी करने पर था. धवन और रोहित जैसे खिलाड़ियों को धोनी ने स्टार बनाकर ही छोड़ा.