सिर पर तगड़ी चोट आपके शरीर में सोए हुए वायरस को जगा सकती है! नई रिसर्च में चौंकाने वाला दावा
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सिर पर तगड़ी चोट आपके शरीर में सोए हुए वायरस को जगा सकती है! नई रिसर्च में चौंकाने वाला दावा

Science News in Hindi: अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में चली रिसर्च से पता चला है कि सिर पर तगड़ी चोट लगने से शरीर में छिपे हुए वायरस जाग सकते हैं. इससे, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.

सिर पर तगड़ी चोट आपके शरीर में सोए हुए वायरस को जगा सकती है! नई रिसर्च में चौंकाने वाला दावा

एक नई रिसर्च से पता चला है कि सिर पर गंभीर चोट (traumatic brain injury या TBI) इंसान के इम्यून सिस्टम और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. इस स्टडी में, रिसर्चर्स ने यह दिखाया है कि ऐसी चोटें शरीर में छिपे हुए वायरस, जैसे हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस 1 (HSV-1), को फिर से सक्रिय कर सकती हैं. यह प्रक्रिया न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों, जैसे अल्जाइमर, के विकास में भागीदार हो सकती है. यह स्टडी Science Signaling जर्नल में छपी है.

'मॉडन ब्रेन' को चोट से जाग उठा वायरस!

स्टडी में वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल आधारित 'मिनी ब्रेन' का उपयोग किया. ये छोटे मॉडल वास्तविक दिमाग का सटीक प्रतिनिधित्व तो नहीं हैं, लेकिन यह दिखाने के लिए उपयोगी हैं कि दिमाग कैसे चोट के प्रति प्रतिक्रिया करता है. टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की बायोमेडिकल इंजीनियर डाना कैर्न्स ने कहा, 'हमने सोचा कि अगर हम इस मॉडल को चोट पहुंचाएं, जैसे कि एक हल्की चोट या कंसक्शन, तो क्या HSV-1 फिर से सक्रिय होगा और न्यूरोडीजेनेरेशन की प्रक्रिया शुरू करेगा?'

चोट के एक सप्ताह बाद, वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क ऊतकों में प्रोटीन के क्लंप और टेंगल्स देखे, जो अल्जाइमर जैसी बीमारियों का संकेत हैं. साथ ही, न्यूरोइन्फ्लेमेशन (मस्तिष्क में सूजन) और प्रो-इंफ्लेमेटरी इम्यून सेल्स में इजाफा देखा गया.

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दिमागी चोट का न्यूरोडीजेनेरेशन का कनेक्शन

पिछले कई स्टडीज ने दिखाया है कि TBI न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है. हल्की चोटों से भी होने वाली क्रॉनिक इंफ्लेमेशन समय के साथ मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है. HSV-1, जो आमतौर पर मानव शरीर में निष्क्रिय (डॉर्मेंट) रहता है, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.  2008 के एक अध्ययन में पाया गया कि अल्जाइमर के 90% प्रोटीन प्लाक्स में HSV-1 के जीन मौजूद थे.  HSV-1 संक्रमण से डिमेंशिया का खतरा दोगुना हो सकता है.

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स्टडी में यह भी पाया गया कि चार सप्ताह पुराने मिनी ब्रेन की तुलना में आठ सप्ताह पुराने मिनी ब्रेन चोट के बाद बेहतर प्रदर्शन करते हैं. इससे पता चलता है कि युवा और विकसित हो रहे दिमाग पर चोट का असर ज्यादा गंभीर हो सकता है.

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