NASA के सैटेलाइट को मंगल पर कुछ बहुत अजीब दिखा, 'राजमा' जैसी इन चीजों में छिपा कैसा रहस्य?
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NASA के सैटेलाइट को मंगल पर कुछ बहुत अजीब दिखा, 'राजमा' जैसी इन चीजों में छिपा कैसा रहस्य?

NASA Mars Reconnaissance Orbiter Images: नासा के एक सैटेलाइट ने मंगल ग्रह के रेत के टीलों पर जमे हुए 'किडनी बीन्स' को देखा है. उनकी तस्वीरें लेने से हमें यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि क्या मंगल ग्रह पर कभी जीवन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी था.

NASA के सैटेलाइट को मंगल पर कुछ बहुत अजीब दिखा, 'राजमा' जैसी इन चीजों में छिपा कैसा रहस्य?

NASA Mars Images: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने मंगल ग्रह की एक अनोखी तस्वीर जारी की है. मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (MRO) से ली गई इस फोटो में जमे हुए 'राजमा' (Kidney Beans) जैसी चीजें नजर आ रही हैं. मंगल ग्रह पर दिखने वाले ये 'किडनी बीन्स' खाने के लिए नहीं हैं. यह मंगल के उत्तरी गोलार्ध में जमी हुई रेत के टीलों की तस्वीर है. MRO ने सितंबर 2022 में यह अद्भुत तस्वीर ली थी, जिसे NASA ने हाल ही में जारी किया है.

मंगल पर ये 'किडनी बीन्स' कहां से आए?

तस्वीर में दिख रहे रेत के टीले पूरी तरह स्थिर नजर आते हैं. मंगल और पृथ्वी दोनों पर, टीले आमतौर पर हवा के कारण इधर-उधर होते रहते हैं. हवा रेत के कणों को उठाकर एक तरफ से दूसरी तरफ गिराती है, जिससे रेगिस्तान एक धीमी गति वाले समुद्र की तरह दिखते हैं. हालांकि, मंगल के उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों के दौरान इन टीलों पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की बर्फ की परत जम जाती है. यह बर्फ हवा को रेत उठाने से रोकती है, जिससे टीले तब तक स्थिर रहते हैं, जब तक कि वसंत में बर्फ पिघल न जाए.

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मंगल पर रेत के टीले (Photo : NASA/JPL-Caltech/University of Arizona)

मंगल पर पानी के संकेत!

बर्फ से ढके टीलों की तस्वीरें वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती हैं कि क्या कभी मंगल पर लंबे समय तक पानी मौजूद था. हालांकि मंगल की बर्फ CO2 से बनी है, न कि पानी से, फिर भी यह संकेत देती है कि मंगल के इतिहास में पानी की उपस्थिति के लिए अनुकूल परिस्थितियां रही होंगी.

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मंगल पर CO2 की मात्रा ग्रह की सूर्य के सापेक्ष स्थिति पर निर्भर करती है. पृथ्वी की तरह, मंगल का अक्ष भी झुका हुआ है, लेकिन इसका झुकाव समय के साथ बहुत ज्यादा बदलता है. जब मंगल का झुकाव काफी बढ़ जाता है, तो CO2 की बर्फ गैस में बदल जाती है, जिससे पूरे ग्रह का वातावरण मोटा हो सकता है. यह मोटा वातावरण लंबे समय तक तरल पानी को सहारा देने में सक्षम हो सकता था.

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अगर कभी मंगल पर जलवायु ने स्थिर तरल पानी का समर्थन किया हो, तो वहां सूक्ष्मजीव जीवन (microbial life) के विकसित होने और जीवित रहने की संभावना काफी बढ़ जाती है. हो सकता है कि यह जीवन अब भी मंगल के किसी कोने में छिपा हुआ हो.

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