Ninety East Ridge Indian Ocean: हिंद महासागर की 5000 किलोमीटर लंबी पर्वत श्रृंखला - नाइंटी ईस्ट रिज - पूरी तरह से पानी में डूबी है. एक नई स्टडी यह बताती है कि 43 से 83 मिलियन साल पहले नाइनटीईस्ट रिज का निर्माण कैसे हुआ था.
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Indian Ocean Mountain Range: हिंद महासागर के पानी में एक ऐसी पर्वत श्रृंखला छिपी हुई है जो लंबाई में उत्तरी अमेरिका की 'रॉकीज' को भी मात देती है. 'नाइंटी ईस्ट रिज' कही जाने वाली इस माउंटेन रेंज का पूरा का पूरा हिस्सा (लगभग 5,000 किलोमीटर) पानी के नीचे है. एक नई स्टडी में, लहरों के नीचे गहराई में झांककर यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि यह Ninety East Ridge आखिर बनी कैसे. उन्हें जो कुछ पता चला, उसने पृथ्वी के भूगोल के बारे में हमारी बनी-बनाई धारणाओं का चुनौती दी है.
हिलते हुए 'हॉटस्पॉट' ने बनाई यह रिज
सीमाउंट, हर महासागर में पाए जाने वाले पानी के नीचे के ज्वालामुखी को कहते हैं. वे पृथ्वी की सतह के नीचे 'हॉटस्पॉट' की वजह से बनते हैं, जिनमें जमा गर्मी मेंटल को पिघला देती है, जिससे पाइप जैसी अपवेलिंग में गर्म धुआं निकलता है. पहले तो वैज्ञानिकों को नहीं लगता था कि हॉटस्पॉट हिल सकते हैं, इसलिए पानी के नीचे ज्वालामुखियों का एक निशान एक स्थिर हॉटस्पॉट के ऊपर टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने से बना माना जाता था.
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नई स्टडी से पता चला कि हिंद महासागर की जलमग्न ज्वालामुखी श्रृंखला एक अलग तरीके से बनी थी. वैज्ञानिकों ने इस मामले में हॉटस्पॉट को एक फाउंटेन पेन के रूप में समझाया, जिसकी चलती हुई 'टिप' पृथ्वी की सतह पर तरल मैग्मा जमा कर रही है. ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी में जियोसाइंटिस्ट ह्यूगो ओलीरूक के अनुसार, 'अधिकतर ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट के उलट, जो मेंटल में स्थिर रहते हैं और टेक्टोनिक प्लेटों के बहने से ज्वालामुखी ट्रेल बनाते हैं, इस स्टडी में पाया गया कि नाइंटी ईस्ट रिज के लिए जिम्मेदार हॉटस्पॉट समय के साथ मेंटल के भीतर कई सौ किलोमीटर तक चला गया.'
Indian Ocean में पहले ऐसे 'हॉटस्पॉट मूवमेंट' की पहचान
ओलीरूक ने कहा, 'इस तरह का हॉटस्पॉट मूवमेंट आम माना जाता रहा है लेकिन साबित करना मुश्किल है और इसे अभी तक प्रशांत महासागर के कुछ हॉटस्पॉट में ही देखा गया है, यानी यह हिंद महासागर में पहला ऐसा केस है.' केर्गुएलन हॉटस्पॉट ही हिंद महासागर की अंडरवाटर पर्वत श्रृंखला के बनने के लिए जिम्मेदार है. कई स्टडीज ने सुझाया है कि यह हॉटस्पॉट समय के साथ दक्षिण या पश्चिम की ओर चला गया होगा.
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ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, चीन और अमेरिका के रिसर्चर्स ने इसकी पुष्टि करने के लिए नाइंटीईस्ट रिज से बेसाल्ट नमूनों का एनालिसिस किया. उनके नतीजों ने बताया कि केर्गुएलन मेंटल प्लम तब बना जब भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बहने लगी, जिससे हिंद महासागर खुल गया.
रेडियोआइसोटोपिक डेटिंग से पता चलता है कि 83 से 66 मिलियन साल पहले, पर्वत श्रृंखला की चोटियां समुद्र तल के फैलाव की दर से लगभग आधी दर पर बनी थीं. चीन पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के कियांग जियांग के नेतृत्व में रिसर्चर्स की अंतरराष्ट्रीय टीम ने लिखा कि इसका मतलब है कि 'केर्गुएलन हॉटस्पॉट भारतीय प्लेट के नीचे स्थिर नहीं था.' यह स्टडी Nature Communications जर्नल में छपी है.